रुद्रप्रयाग। पशुपालन विभाग की ओर से ग्राम पंचायत पपड़ासू स्थित निराश्रित गोवंश रक्षाशाला में आयोजित दो दिवसीय पशुकल्याण जागरूकता अभियान संपंन हो गया है। इस दौरान जहां पशु सखियों को पशुओं में होने वाली बीमारियों व उनके उपचार को लेकर प्रशिक्षण के माध्यम से जानकारी दी गई, वहीं निराश्रित गर्भवती गाय में होने वाली डिस्टोकिया बीमारी का भी उपचार करने के साथ ही बछिया का पैर फ्रैक्चर होने पर प्लास्टर लगाया गया। पशुपालन विभाग की इस पहल का गौ रक्षा विभाग ने स्वागत किया है।
भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय विभाग के पशुपालन एवं पशुकल्याण जागरुकता अभियान के तहत बद्रीनाथ हाईवे से सटे ग्राम पंचायत पपड़ासू स्थित निराश्रित गोवंश रक्षाशाला में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपंन हो गया है। कार्यक्रम में डांगी, अगस्त्यमुनि, सौंराखाल, तिलवाड़ा, पिल्लू-जहंगी सहित विभिन्न गांवों की पशु सखियों के साथ ही गौ सेवकों ने भाग लिया। इस दौरान पशु चिकित्सकों ने ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना की पशु सखियां को बताया कि पशुओं का सम्मान करने से मानवता की पहचान होती है। उन्होंने पशुओं का टेगिंग करना, इंजेक्शन लगाना, टेम्परेचर मापने का प्रशिक्षण देते हुए बताया कि पशुओं की विशेष देखभाल की जानी चाहिए। इन्हें किस प्रकार से रखना है, यह जानकारी होना जरूरी है। साथ ही उन्हें समय-समय पर किटनाशक दवाई खिलाना जरूरी है। पशु चिकित्सा अधिकारी रचना थपलियाल ने बताया कि पशु सखियों को पशुओं में होने वाली बीमारियों और उनके प्रति सजग होने को लेकर जागरूक किया गया। साथ ही उन्हें प्रशिक्षण के माध्यम से टेगिंग, इंजेक्शन लगाना भी सिखाया गया। उन्होंने बताया कि पपड़ासू स्थित गौ रक्षा विभाग ट्रस्ट के निराश्रित गोवंश रक्षाशाला में 30 के करीब निराश्रित गोवंश हैं। जिनका समय-समय पर उपचार किया जा रहा है। साथ ही इनके लिए दवाईयां भी वितरित की जा रही हैं। बताया कि गोवंश रक्षाशाला में बछिया का पैर फैक्चर होने पर प्लास्टर लगाया गया, जबकि गर्भवती गाय में होने वाली डिस्टोकिया बीमारी का भी उपचार किया गया। इस स्थिति में गर्भाशय बाहर आ जाता है। उसमें सफाई करके औषधी की मदद से अंदर रखा जाता है। करीब एक घंटे की कड़ी मेहनत के बाद यह कार्यवाही पूरी हो पाई। गौ रक्षा विभाग के जिलाध्यक्ष रोहित डिमरी ने कहा कि पशुपालन विभाग की ओर से समय-समय पर निराश्रित गोवंश का उपचार किया जा रहा है। दो दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान जहां पशु सखियों ने पशुओं से संबंधित जानकारी प्राप्त की, वहीं घायल, बीमार पशुओं का उपचार करने में भी मदद की।