झूलाघाट(पिथौरागढ़)-नेपाल के प्रसिद्ध त्रिपुरा सुंदरी मेले में आस्था का सैलाब उमड़ा। इस मेले में मुख्य जात के मंदिर पहुंचते ही मां त्रिपुरा देवी के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। मेले में भारत नेपाल के 50 हजार से अधिक लोगों ने पहुंचकर मां त्रिपुरा के दर्शन किए और समृद्धि का आशीष मांगा। मेले में 400 से अधिक बकरियों व 163 भैंसों कटरों की बलि दी गई।यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल नेपाल के बैतडी में मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में मेले को लेकर पूरी रात जागरण के बाद गुरुवार सुबह से ही लोगों ने मां की पूजा-अर्चना की। दूरदूर के गांवों से लोग बलि देने के लिए बकिरयों, कटरे ( भैसों) के साथ ध्वज पताका लहराते हुए उल्लास से मां के दरबार में पहुंचते रहे। मंदिर में दर्शन के लिए दोनों देशों के भक्तों का तांता लगा रहा।सुबह करीब 9 बजे ढ़ोल नगाड़ों के साथ मां की जयकारों के बीच मां त्रिपुरा देवी का डोला कापड़ी गांव के लिए रवाना हुआ।
डोले के साथ हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु पीछे पीछे चलते रहे। कापड़ी गांव पहुंचने पर डोले का जोरदार स्वागत किया गया। जहां पूजा-अर्चना कर डोले को वापस मुख्य मंदिर लाया गया। परिक्रमा के बाद मां के डोले के त्रिपुरा सुंदरी मंदिर पहुंचते ही पूरा परिसर जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान मां की एक झलक पाने को श्रद्धालु बेताब दिखे। देव डांगरों ने अवतरित होकर भक्तों को आशीष दिया। इस दौरान भण्डार गृह में पूजा अर्चना की गयी। प्रकाश सिंह पुजारा ने बताया की भण्डार गृह की पूजा अर्चना के बाद श्रद्धा से मनोकामना पूर्ण होने के बाद मंदिर में लाये गए कटरों ( भैंसों ) बकरों की बलि दी गयी। त्रिपुरा सुंदरी के मुख्य पुजारी हेमराज लेखक व गोविन्द लेखक ने माता के गर्भगृह में पूजा अर्चना कराई।