रुद्रप्रयाग।स्वर्गीय स्वतन्त्र नन्द पुरोहित महाराज की स्मृति में आयोजित भागवत ज्ञान कथा ने सम्पूर्ण रुद्रप्रयाग क्षेत्र में नई मिसाल कायम कर दी। इस अद्वितीय आयोजन के सूत्रधार उनके सुपुत्र अनिल पुरोहित रहे, जिन्होंने अपने पिता की स्मृति में कथा व्यास को रथ स्वरूप गाड़ी भेंट कर सभी को भावविभोर कर दिया।इस आयोजन को लेकर लोगों का कहना था कि ऐसा भव्य भागवत ज्ञान यज्ञ रुद्रप्रयाग में पूर्व में कभी नहीं हुआ। विशेष उल्लेखनीय रहा कि ब्रह्मभोज में पहली बार 37 प्रकार के विविध पकवान ब्राह्मणों के निमित्त तैयार किए गए, जिसे क्षेत्रीय जनमानस ने अत्यंत अलौकिक और अद्वितीय बताया।इस बार कथा आयोजन की एक और ऐतिहासिक विशेषता रही। पहली बार दो व्यासों का एक साथ प्रवचन, 25 जापार्थियों का अखंड जाप तथा तीन वेदपाठियों द्वारा वैदिक स्वरूप में मंत्रोच्चार किया गया। इस अद्वितीय संगम ने कथा को दिव्य और अतुलनीय भव्यता प्रदान की।स्वर्गीय पिता की क्रियाओं के दौरान अनिल पुरोहित ने स्वयं को पूर्णतः सन्यासी आचरण में रखा। एक वर्ष तक नंगे पैर, केवल धोती धारण कर, चाहे ग्रीष्म हो या शीतकाल, एक ही समय भोजन करना और वह भी स्वयं बना कर ग्रहण करना—यह कठोर नियम उन्होंने अक्षरशः पालन किए। उनके इस तप एवं श्रद्धा ने सभी को भावविह्वल कर दिया।आयोजन की सफलता में सत्य प्रसाद पुरोहित, अजय पुरोहित, विजय मोहन पुरोहित, प्रमोद पुरोहित, दाताराम पुरोहित, नरेंद्र पुरोहित, हर्षवर्धन पुरोहित, अशोक पुरोहित, घनश्याम पुरोहित, आशुतोष पुरोहित, दीपक पुरोहित एवं वासुदेव पुरोहित का भी उल्लेखनीय सहयोग रहा।क्षेत्रवासियों का कहना है कि अनिल पुरोहित का जीवन और आचरण अनुकरणीय है, जिससे समाज को यह शिक्षा मिलती है कि कैसे संतान अपने माता-पिता की स्मृति में धर्म, परंपरा और श्रद्धा को सर्वोच्च स्थान देकर समाज के लिए प्रेरणा बन सकती है।