रुद्रप्रयाग: 70 के दशक में निर्मित शिशों-बन्दरतोली सिंचाई नहर विभागीय लापरवाही के चलते दम तोड़ रही है। क्षतिग्रस्त नहर से करीब सिंचित 500 नाली भूमि अब बंजर होने के कगार पर है। वर्तमान में जुगाड के सहारे नहर पर पानी चलाया जा रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारी मौन बैठे हुए है। नहर का मरम्मतीकरण न होने से किसानों में विभाग के प्रति खासा रोष बना हुआ है।
बता दें वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा में मन्दाकिनी नदी के कटाव से सूर्यप्रयाग कंडाली मुसाढुंग मोटरमार्ग का एक बड़ा हिस्सा सिंचाई नहर की चपेट में आ गया था। तब से आज तक नहर को ठीक नहीं किया गया है। करीब 300 मीटर नहर का हिस्सा मंदाकिनी नदी के कटाव के कारण लगातार धंस रहा है। प्रति वर्ष सिंचाई विभाग मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये का बजट खर्च तो करता है, लेकिन अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं लेते है। वर्तमान में जब नहर पर पानी नहीं चल पाया तो ग्रामीणों ने पॉलीथिन के सहारे किसी तरह जुगाड कर पानी नहर पर चलाया। कुछ किसानों ने तो असिंचित फसल को यहां बोना शुरू कर दिया है। कुछ किसान जुगाड के सहारे पानी ले जाकर सिंचाई कर रहे है, लेकिन यह जुगाड कब तक साथ देगा यह कहा नहीं जा सकता। क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्मला देवी, पूर्व ग्राम प्रधान ओम प्रकाश बहुगुणा, ग्राम प्रधान शीशों सुरबीर खत्री ने बताया कि केदारनाथ आपदा में मन्दाकिनी नदी के कटाव से सूर्यप्रयाग कंडाली मुसाडुंग मोटर मार्ग का एक बड़ा हिस्सा नहरे में गिरा था। आपदा के बाद से लगातार विभाग से नहर की हालत सुधारने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक विभाग नहर को ठीक नहीं करा पाया है। जिससे किसानों में रोष पनपता जा रहा है। इस संबंध में पूर्व में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज से भी वार्ता की गई थी। लेकिन विभाग आपदा के नाम पर मात्र पल्ला झाडता दिख रहा है। स्थानीय लोंगो ने कहा कि यदि शीघ्र नहर का ट्रीटमेंट नहीं होता है, तो उन्हें आंदोलन के लिए बाध्य होना पडेगा।