उत्तरकाशी-जिले में धान की रोपाई के बाद लगभग सभी गांवों में आनेवाली फसल की और क्षेत्र की खुशहाली की मनोती मांगे जाने वाला “हरूण मेले” की इन दिनों धूम मची हुई है।आपको बतादे उच्च हिमालयी क्षेत्र के राजा कहे जाने वाले टकनौर क्षेत्र के आराध्य क्षेत्राधिपति भगवान श्री समेश्वर देवता (राजा रघुनाथ जी महाराज) का भव्य फूल्यारी आसाड़ मेला आसाड़ के महीने में हर गाँव मे अलग अलग तिथियों मनाया जाता है। बृहस्पतिवार को ग्राम पाला मे भी समेश्वर देवता के प्रांगण में हरूण मेला सम्पन्न हुआ। जहाँ भगवान समेश्वर देवता ने अपना प्रसिद्ध आसन लगाकर लोगों को अपना आशीर्वाद दिया।
मान्यता अनुसार आसाड़ महीने की २०, २१ व २२ गते की तिथियों में यहाँ के विभिन्न गाँवों मे भगवान समेश्वर इंसानी रूप मे मानव पशुवा पर अवतरित होकर ग्रामवासियों व अतिथियों के (न्योते) उनकी समस्याओं का निराकरण करते है। इस विशेष दिन पर भगवान समेश्वर नंगे फरसे (डांगरे) पर नंगे पैर चलकर अपना आसन लगाते है। मेले में स्थानीय ग्रामीण उच्च हिमालयी क्षेत्रो से बुग्यालों से दुर्लभ पुष्पों (लेसर,ज्याणी, भूतकेश,ब्रम्हकमल आदि) लाकर गांव के आराध्य देवताओं को चढ़ाते है। और मेले के दौरान खुशी में समेश्वर देवता के सानिध्य में ढोल नगणो की थाप पर रासों तांदी नृत्य कर मंगल गीत गाकर अपनी खुशी का इजहार करते है। इस पर्व पर गांव की तमाम व्याही हुई लडकिया जिन्हें स्थानीय भाषा मे ध्याणियां कहा जाता है सभी अपने अपने मायके बुलाई जाती है और वे सभी समेश्वर देवता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करती है। मेले के अवसर पर समेश्वर देवता की डोली को नचाकर युवा मेले का लुत्फ उठाते हैं।