ब्यूरो -उत्तराखंड के हरिद्वार जिले से बड़ी खबर सामने आई है। हरिद्वार के रुड़की में भाजपा पार्षद मनीष बालर को पुलिस ने भूमि संबंधी धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया।
एसटीएफ ने पार्षद के खिलाफ गंगनहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया है और पार्षद को अपने साथ देहरादून ले गई। दरअसल, 27 अगस्त, 2025 को देर शाम एसटीएफ की टीम रुड़की पहुंची और पार्षद मनीष को हिरासत में लेकर पूछताछ की। गिरफ्तारी की खबर फैलते ही वाल्मीकि समाज के लोग गंगनहर कोतवाली के बाहर जमा हो गए और देर रात तक हंगामा करते रहे। पुलिस ने उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेजा। एसटीएफ निरीक्षक नंद किशोर भट्ट ने कोतवाली में तहरीर देकर बताया कि मनीष और उनके सहयोगी प्रवीण वाल्मीकि, राजकुमार, और अंकित पर संगठित अपराधी गिरोह चलाने का आरोप है। ये लोग प्रवीण के नाम का डर दिखाकर लोगों की जमीनें हड़पते थे।
मामले का केंद्र रेखा, पत्नी स्वर्गीय श्याम बिहारी, निवासी सुनहरा गांव, हैं। उनके पति की 2014 में मृत्यु हो गई थी, और उनकी काफी संपत्ति सुनहरा में है। आरोप है कि मनीष और उनके साथियों ने रेखा पर जमीन अपने नाम करने का दबाव बनाया और विरोध करने पर उनके देवर कृष्ण गोपाल की 2018 में प्रवीण वाल्मीकि के शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। 2019 में रेखा के भाई सुभाष पर भी जानलेवा हमला हुआ, जिसमें वह बच गए।
इसके बाद रेखा से पांच लाख रुपये की उगाही और जान से मारने की धमकियां दी गईं। डर के कारण रेखा ने अपना घर छोड़ दिया और अज्ञात स्थान पर चली गईं। इसी का फायदा उठाकर मनीष और प्रवीण ने रेखा की जमीन फर्जी तरीके से बेचने की योजना बनाई। उन्होंने एक महिला को रेखा के रूप में पेश कर फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाई, जिसे पंकज अष्टवाल के नाम किया गया। इस पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए दो प्लॉट बेचे गए। गुरमीत कौर और नजमा ने 80 लाख रुपये में जमीन खरीदने का सौदा किया, जिसमें 12 लाख नकद दिए गए, लेकिन ठगी का पता चलने पर उन्होंने चेक रोक दिए। एक अन्य मामले में 58 लाख रुपये में एक प्लॉट इश्तियाक और गुलफाम को बेचा गया। जांच में मनीष का मोबाइल नंबर फर्जी दस्तावेजों से जुड़ा पाया गया।







