रुद्रप्रयाग-8अगस्त, 1953 को ग्राम क्वीली, रुद्रप्रयाग में एक गोशाला में परंपरागत रूप से जन्म लेकर एक बालक अपने लोकप्रेम को अपने जीवन का लक्ष्य बनाते हुए बडा होकर व उच्च शिक्षा प्राप्त कर गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर में अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष होने के बाद भी अपने लोक से ना केवल जुड़ा रहा बल्कि उसने अपने लोक परंपराओं और विधाओं को अमेरिका व जर्मनी सहित विश्व के कई देशों तक पहुंचाया। यही कारण है कि आज हमारे पहाड़ों का ढोल दमाऊ पहाड़ों से सात समुद्र पार कर कई देशों में बज रहा है तथा कई विश्वविद्यालयों में इस पर शौध कार्य भी चल रहा है।
लोक नाट्य लेखन, अभिनय और निर्देशन के साथ ही कई पुस्तकों के रचयिता डा. डी. आर. पुरोहित अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।
डा. डी. आर. पुरोहित जी की इन महान उपलब्धियों को देखते हुए मुंबई की 94 वर्ष की प्रतिष्ठित और प्रतिनिधि सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था, गढ़वाल भ्रातृ मण्डल के अध्यक्ष रमण मोहन कुकरेती ने अवगत कराया कि मण्डल इस वर्ष का गढ़रत्न सम्मान उत्तराखंड की लोक विभूति डा. डी. आर. पुरोहित जी को प्रदान कर उन्हें सम्मानित कर रही है। ज्ञात हो कि मण्डल प्रतिवर्ष किसी एक उत्तराखंडी महानुभाव को यह पुरस्कार प्रदान करती है। जिसके तहत अब तक यह पुरस्कार श्री जीत सिंह नेगी , श्री कन्हैयालाल डंडरियाल , श्री नरेंद्र सिंह नेगी , डॉ. बी. डी. भट्ट (मरणोपरांत) एवं गोरा देवी (मरणोपरांत) आदि विभूतियों को प्रदान किया गया है ।यह पुरस्कार आगामी 13 नवम्बर को मुंबई के राजभवन में माननीय राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के कर कमलों से प्रदान किया जाएगा।