थराली(चमोली)-कहते हैं जिसका कोई नहीं होता ईश्वर आखिरकार उसकी मदद के लिए किसी न किसी को भेज देता है और यह भी प्रचलित कहावत है कि जब तक मौत नहीं आनी होगी तो कोई भी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है जी हां यह दोनों बातें चरितार्थ हुई हैं चमोली जिले के सुप्रसिद्ध लाटू देवता धाम वाण गांव में।
दरअसल इस गांव की एक बुजुर्ग महिला धामती देवी चारापत्ती लेने पास के जंगल में गयी थी।इनको यहां घायलावस्था में एक मृग का नवजात शिशु बिलखता हुआ पड़ा मिला। पहले तो धामती देवी ने समझा कि उसकी मां भी यहीं कहीं आसपास होगी तो उन्होंने उसे दूर से ही उसकी निगरानी की लेकिन जब काफी देर हो गई और नवजात शिशु मृग की मां का कहीं अता पता नहीं था तो तब धामती देवी नवजात शिशु मृग के पास गयी और उसे गोद में लेकर सहलाने लगी ऐसा करते करते उनकी ममता जाग उठी और उन्होंने चारापत्ती इकठ्ठा करना छोड़ नवजात शिशु मृग को सीधे घर ले आई।और उसके घावों का घरेलू उपचार करने के बाद उसको दूध पिलाने की कोशिश की लेकिन वह दूध नहीं पी सका।धामती देवी बताती हैं कि तब वह बाजार गई और वहां से दूध का निप्पल ले आई तब कुछ कुछ इसने दूध पिया।
इसके बाद महिला ने गांव के सामाजिक कार्यकर्ता हीरा सिंह गढ़वाली को इसकी सूचना दी और दोनों मिलकर मृग के बच्चे को पशु चिकित्सालय उपचार के लिए ले गए जहां डॉक्टरों ने छोटे से मृग के बच्चे का उपचार किया।वहीं सामाजिक कार्यकर्ता हीरा सिंह गढ़वाली ने बताया कि उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को दे दी है और तत्काल वन दरोगा भी उनके गांव मौके पर पहुंचे हैं। आपको बता दें कि हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले यह मृग की प्रजाति धीरे धीरे लुप्त होने के कगार पर है और ऐसे में एक महिला ने इसे बचा कर सच में मानवता की मिसाल कायम की है। महिला ने कहा कि यदि वन विभाग इसको किसी चिड़ियाघर में सुरक्षित ले जाए या वह इसे तबतक पालेगी जब तक कि वह जंगल में खुद का भोजन करने बचाव करने लायक नहीं बन जाती है।अब जबकि वन विभाग के संज्ञान में यह बात डाल दी गई है तो अब देखने वाली बात यह होगी कि वन महकमा इस पर क्या कुछ कदम उठाता है।