ब्यूरो–
ये कहानी है केदारनाथ में खच्चर से सामान ढोने वाले अतुल कुमार की — उत्तराखंड के एक छोटे से गांव बीरों देवल से निकलकर देश के नंबर 1 संस्थान IIT मद्रास तक पहुंचने वाले एक साधारण लेकिन बेहद मेहनती लड़के की।
अतुल का बचपन बहुत साधारण था। उसके माता-पिता आज भी केदारनाथ धाम में खच्चर और घोड़े चलाकर यात्रियों का सामान ढोते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, इसलिए स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ अतुल भी हर साल केदारनाथ में खच्चर से सामान ढोने का काम करता था ताकि अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल सके।
लेकिन हालात कभी भी अतुल के हौसले के आगे टिक नहीं पाए।
अतुल शुरू से ही पढ़ाई में होशियार था। उसने 10वीं में 94.8% और 12वीं में 92.8% नंबर हासिल किए और पूरे उत्तराखंड में टॉप रैंक लाईं। आज वह हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से BSc अंतिम वर्ष में पढ़ रहा है।
इन्हीं हालातों और संघर्षों के बीच उसने IIT JAM 2025 परीक्षा दी — और All India Rank 649 हासिल कर ली। अब उसे MSc Mathematics के लिए IIT मद्रास में दाख़िला मिल रहा है।
यह उपलब्धि सिर्फ एक छात्र की नहीं, बल्कि हर उस युवा की है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने की हिम्मत रखता है।
आज अतुल की सफलता से उसका गांव, उसके माता-पिता और पूरा उत्तराखंड गर्व महसूस कर रहा है। जहां कभी अतुल के हाथ में खच्चर की रस्सी हुआ करती थी, आज उन हाथों में भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान का एडमिशन लेटर है।
अतुल की यह कहानी हमें सिखाती है —
अगर मन में सच्चा इरादा हो, मेहनत का भरोसा हो, और हौसला ना टूटे… तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।