गुप्तकाशी(नितिन जमलोकी)-केदारघाटी के गुप्तकाशी जाखधार में धार्मिक भावनाओ से जुड़े जाख मेला पौराणिक परम्पराओं के साथ बैसाखी के दूसरे दिन भगवान जाख राजा के दहकते अंगारों पर नृत्य कर भक्तों को दर्शन देने के साथ सम्पन्न हुआ।
शनिवार दो गते वैशाख को दोपहर 12 बजे जाख राजा के पश्वा मन्दाकिनी नदी में स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ स्नान करने पहुंचे। इसके बाद जाख की यात्रा नारायणकोटि से कोठेड़ा- देवशाल विन्ध्येश्वरी मंदिर पहुंचे। यहां स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ भगवान जाख की यात्रा का देवशाल गांव के ब्राह्मणों ने हरियाली व फूल से बनी मालाओं से भव्य स्वागत किया। इस दौरान देवशाल के देवशाली ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चारण के साथ भगवान शिव की स्तुति की। जिसके बाद देवशाल में जाख पश्वा ने विंध्यवासिनी मंदिर की परिक्रमा की।साथ ही सूक्ष्म विराम के बाद भगवान जाख की यात्रा ग्रामीण श्रद्धालुओं के साथ देवशाल गांव के खेत खलियानों से होते हुए अपने देवस्थल जाख में पहुंचे। इस दौरान देवशाल गांव से जाख तक सैकड़ों की संख्या में लोगों के भगवान जाख के जयकारों से क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। जहां हजारों की संख्या में अपने भक्तों की भीड़ देखकर भगवान अति प्रशन्न हुए। मंदिर परिसर के चारों ओर आसमान में बादल छाने लगे और हल्की बारिश हुई। इसी दौरान भगवान शिव के यक्ष स्वरूप जाख ने दो बार धधकते हुए अंगारों में नृत्य कर भक्तों को दर्शन दिए।इससे पूर्व रात्रि को मूंडी प्रज्वलन की परंपरा भी सम्पन्न की गई। जिसमें स्थानीय ग्रामीणों ने यहां एकत्रित होकर प्रसाद वितरण किया। आचार्य सतीश देवशाली, योगेंद्र देवशाली, विनोद देवशाली, महेंद्र देवशाली, अनुषुया देवशाली, श्रीकृष्ण देवशाली आदि ने बताया कि जाख राजा भगवान शिव के रुद्रावतार भैरव व यक्षराज कुबेर मणिभद्र वीरभद्र के रूप में पूजे जाते हैं। इस दौरान हजारों की संख्या में ग्रामीण एवं क्षेत्रीय श्रद्धालु मौजूद रहे।