कर्णप्रयाग-अनियोजित विकास एवं जल निकास की लचर व्यवस्थाओं के चलते कर्णप्रयाग नगर लगातार आपदा का दंश झेल रहा है। नगर के कई इलाकों में नदी कटाव और भूस्खलन से सुरक्षा की दरकरार है तो कई आपदा प्रभावित इलाकों में जल निकासी की उचित व्यवस्था की मांग है। लेकिन सुरक्षा और जल निकास की उचित व्यवस्था न होने से नगर के कई इलाके आपदा के मुहाने पर खड़े हैं।वर्ष 2010 में घोड़ी पहाड़ी पर भारी भूस्खलन होने से बहुगुणानगर, आईटीआई भवन और गांधीनगर को खतरा पैदा हो गया था। वर्ष 2013 में पिंडर नदी में आई बाढ़ से कई बस्ती भी खतरे की जद में आ गई थी। कई परिवारों को महीनों तक घर छोड़कर वाहर रहना पड़ा था। वहीं साल 2016 में उमा माहेश्वर आश्रम के अलावा आईटीआई में कई घरों में बरसात का मलबा घुस गया था। वहीं अपर बाजार, मस्जिद मुहल्ला, तहसील परिसर के नीचे की बस्ती सहित आईटीआई भवन पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। उपजे हालात में बरसात के दौरान नदी और नालों के किनारे रह रहे लोग रात के समय जागने को विवश रहते है। तेज बारिश में मुख्य बाजार में मलबा आना आम बात है। उधर तहसीलदार सुरेंद्र सिंह देव का कहना है कि आईटीआई भवन के नीचे भूस्खलन हो रहा है। जिसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।