चमोली-देवाल ब्लॉक की एक महिला अपने 15 वर्षीय बेटे के साथ मायके से ससुराल जा रही थी कि हरमल गांव के पास लकड़ी की पुलिया से गुजरते समय पैर फिसलने से दोनों पिंडर नदी में बह गए। महिला का शव नदी किनारे मिल गया जबकि उसके बेटे का पता नहीं चल पाया है। एसडीआरएफ की टीम के आज सुबह तक घटनास्थल पर पहुंच चुकी है। सौरीगाड़ निवासी व प्रमुख दर्शन दानू ने बताया कि वर्ष 2013 की आपदा में हरमल-रामपुर झूला पुल बह गया था। यहां स्थायी पुल न होने पर ग्रामीण हर वर्ष पिंडर नदी पर लकड़ी की अस्थायी पुलिया बनाते हैं।ग्रामीणों ने हरमल से रामपुर व कुमाऊं के किलपारा गांव जाने के लिए पिंडर नदी पर लकड़ी की अस्थायी पुलिया बनाई है। शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे रामपुर गांव की हेमा देवी (38) पत्नी प्रतापराम अपने बेटे प्रवीण कुमार (15) के साथ अपने मायके किलपारा से ससुराल रामपुर जा रही थी कि पिंडर नदी पर बनी पुलिया से गुजरते समय पांव फिसलने से दोनों नदी में बह गए।कुछ दूरी पर रामपुर गांव के पास हेमा देवी नदी किनारे पत्थरों के बीच फंस गई। आसपास के लोग यह देख बचाने के लिए दौड़े। उन्होंने हेमा देवी को पत्थरों के बीच से निकाला लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी जबकि उसके बेटे का पता नहीं चल पाया। घटना की सूचना प्रशासन को दे दी गई है। राजस्व उपनिरीक्षक प्रमोद नेगी ने कहा कि उन्हें एसडीआरएफ को सूचित कर दिया गया है।
तीन किमी पहले ही हुआ हादसा
किलपारा से रामपुर की दूरी आठ किलोमीटर पैदल है। महिला और उसका बेटा करीब पांच किलोमीटर चल चुके थे। उनको रामपुर पहुंचने में मात्र तीन किलोमीटर और दूरी तय करनी थी लेकिन इसी दौरान हरमल के पास पुलिया से दोनों का पांव फिसल गया और वे नदी में बह गए।