ब्यूरो –
अंकिता भण्डारी हत्याकांड के 2 वर्ष पूरे होने से कुछ दिन पहले फिर से न्याय की आवाज़ें जोर पकड़ने लग गई है । पहाड़ी स्वाभिमान सेना संगठन के आह्वान में बड़ी संख्या में लोग गाँधी पार्क जुटने लगे थे । उसके पश्चात गांधी पार्क से कैंडल मार्च के रूप में लोगो ने चलना शुरू किया और अंकिता भण्डारी को न्याय दो,वीआईपी का खुलासा करो,अंकिता हम शर्मिंदा है तेरे कातिल है ज़िंदा है के नारों के साथ जलूस चला जो कि घण्टाघर में इन्द्रमणि बडोनी मूर्ति परिसर में समाप्त हुआ ।
कथित वीआईपी के खुलासे से लेकर न्याय प्रक्रिया में हो रहे विलम्ब से लोग आक्रोशित दिखे ।
पहाड़ी स्वाभिमान सेना के कार्यक्रम संयोजक पंकज उनियाल ने कहा की अंकिता भण्डारी हत्याकांड को 2 वर्ष होने को आये है परंतु अभी तक न्याय दूर दूर तक नजर नही आ रहा है । न तो वीआइपी के नाम का खुलासा हो रहा है न ही इस केस को फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट में ट्रांसफर किया जा रहा है ।
मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी,पहाड़ी स्वाभिमान सेना के कपिल रावत,महिला मंच से कमला पंत ने कहा कि उत्तराखण्ड महिलाओं के लिए एक असुरक्षित प्रदेश बनता जा रहा है । जहां एक ओर अंकिता भण्डारी हत्याकांड के बाद सरकार को महिला सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए थे वहीं दूसरी ओर महिलाओं के साथ राज्य में बलात्कार और दुराचार की घटना में बढ़ोतरी हुई है ।
मूल निवास भू कानून समन्वय समिति के सह संयोजक लूशुन टोडरिया,पहाड़ी स्वाभिमान सेना के राकेश नेगी,महिला मंच से निर्मला बिष्ट ने कहा कि आरजी मेडिकल कॉलेज कोलकाता के प्रिंसिपल संजय घोष को साक्ष्य मिटाने के दोष में गिरफ्तार किया जा सकता है ,लेकिन अंकिता भंडारी केस में बुलडोजर चला कर के साक्ष्य मिटाने वाली विधायक और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में क्यों नहीं लाई गई? एक ही देश में एक संविधान और दो विधान कैसे चल सकते है ।
सुरेंद्र नेगी, राजेश पायल ने कहा कि अंकिता भण्डारी हत्याकांड सिर्फ राज्य के लिए पूरे देश के लिए एक चौकानें वाला घटनाक्रम था जिससे हर व्यक्ति सकते में आ गया था । पूरे देश से अंकिता भण्डारी और उसके परिवार के लिए न्याय की बात उठने लगी थी परंतु सरकार का इस मुद्दे पर सीबीआई जाँच न कराने के कारण बहुत से बड़े।लोग जो इस मामले में लिप्त हो सकते है उनके नाम जनता के सामने नही आ रहे जिससे इस कांड के मुख्य साजिशकर्ता अभी भी कानून की गिरप्त से बहुत दूर है ।
पहाड़ी स्वाभिमान सेना के इस आह्वान में मूल निवास भू कानून समन्वय सँघर्ष समिति,उत्तराखंड महिला मंच
संयुक्त आंदोलनकारी संगठन,उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच सहित विभिन्न संगठन शामिल रहे ।