श्रीनगर, गढ़वाल। बैकुण्ठ चतुर्दशी मेले की छठवीं संध्या पर रविवार रात्रि को प्रसिद्ध लोकगायिका कल्पना चौहान, लोकगायक रोहित चौहान और अमित सागर की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को देर रात तक झूमने पर मजबूर किया ।कार्यक्रम की शुरुआत युवा गायक रोहित चौहान ने गणेश, गंगा और शिव आरती से की। भक्ति से भरी प्रस्तुति ने पूरे माहौल को श्रद्धा और संगीत की भावनाओं से भर दिया। रोहित ने अपने लोकप्रिय गढ़वाली गीत ‘पहाड़ छुटी गे मांजी का आंसू देखी मेरू दिल टूटी गे’, ‘मेरी पितरों की बसाई टीरी पाणी जुगता ह्वे’ समेत कई गीतों से दर्शकों का मनमोहा। दर्शकों की फरमाइश पर उन्होंने ‘गोरी मुखुड़ी सजीली नाक मां की नथुली’ और ‘मेरी भनुली जांई च ब्यूटी पार्लर मां’ की प्रस्तुतियों से दिल जीता। लोक गायिका कल्पना चौहान ने ‘बदरीनाथ दैणु ह्वेगेई ’ भजन से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। उन्होंने ‘मन भरमेगी मेरू तेरी बांसुरी सूणी’, ‘मुंड मां लटुलों कू डिलू बण्यूं च’, और ‘जै बदरी केदारनाथ गंगोत्री जय जय’ जैसे गीतों से वातावरण को सांस्कृतिक उल्लास से भर दिया।लोकगायक अमित सागर ने ‘चैत की चैत्वाली’, ‘महादेवा’ और ‘बाघ का डेरा’ जैसे गीतों से श्रोताओं और दर्शकों को खूब रिझाया।इस दौरान मेला समिति की ओर से लोकगायकों का स्मृति चिह्न के साथ सम्मान किया गया।इससे पूर्व मुख्य अतिथि पहुंचे वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि बैकुण्ठ मेला हमारी सांस्कृतिक एकता, लोक परंपराओं और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक है। ऐसे आयोजन समाज में भाईचारे और परंपराओं के संरक्षण की भावना को सशक्त बनाते हैं।कहा कि उत्तराखंड ने बीते 25 वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है और आने वाले समय में यह राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होकर विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मेयर आरती भंडारी ने कहा कि मेले हमारी संस्कृति के वाहक होते हैं, जो समाज को अपनी जड़ों और परंपराओं से जोड़ने का कार्य करते हैं। मौके पर मेयर आरती भंडारी, नगर आयुक्त नूपुर वर्मा, पार्षद, नगर निगम अधिकारी, कर्मचारी आदि मौजूद रहे।

नगर निगम ने राज्य आंदोलनकारियों का किया सम्मान। आवास विकास मैदान में राज्य स्थापना दिवस पर राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शहर के आंदोलनकारियों को सम्मानित किया गया। नगर निगम श्रीनगर की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में मेयर आरती भंडारी और निगम पार्षदों ने आंदोलनकारियों को प्रतीक चिह्न और शॉल भेंट कर सम्मानित किया। मेयर आरती भंडारी ने कहा कि राज्य निर्माण में जिन लोगों ने अपने संघर्ष, त्याग और समर्पण से योगदान दिया, वे आज भी समाज के प्रेरणास्रोत हैं। कहा कि उत्तराखंड का यह गौरवशाली इतिहास हमें हमेशा याद रखना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी अपने हक और अधिकार के लिए एकजुट होकर कार्य करना सीखें। निगम पार्षदों ने कहा कि राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान जिन आंदोलनकारियों ने सड़क से लेकर संसद तक आवाज बुलंद की, वे वास्तव में पहाड़ के सच्चे नायक हैं।इस दौरान सम्मानित आंदोलनकारियों ने भी अपने अनुभव साझा किए और युवाओं से राज्य के विकास में भागीदारी निभाने की अपील की।

मेले में गूंजे मांगल गीत। बैकुण्ठ मेले के तहत सोमवार को आयोजित मांगल गायन प्रतियोगिता में पारंपरिक भक्ति और लोक संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिली। प्रतियोगिता में कुल 11 टीमों ने भाग लिया और अपनी मधुर प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया। इस अवसर पर जय मां धारी देवी मंडली ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। राधा कृष्ण मंडली द्वितीय और चंद्रबदनी मंडली तृतीय स्थान पर रही।
बैकुण्ठ मेले में हुई पहाड़ी रस्याण प्रतियोगिता। सोमवार को आयोजित पहाड़ी रस्याण प्रतियोगिता महिला स्वयं सहायता समूहों और महिला समूहों के बीच दो वर्गों में आयोजित हुई।प्रतिभागियों ने पारंपरिक व्यंजनों को अपने अनूठे स्वाद और साज-सज्जा के साथ प्रस्तुत किया।स्वयं सहायता समूह वर्ग में तीरथ धाम समूह ने प्रथम स्थान, शक्ति धाम समूह ने द्वितीय और भागीरथी समूह ने तृतीय स्थान हासिल किया। महिला समूह वर्ग में रश्मि भट्ट प्रथम, जसोदा देवी द्वितीय और लक्ष्मी देवी तृतीय स्थान पर रहीं। प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागियों ने दाल के पकोड़े, कंडाली की सब्जी, स्थानीय चटनी, खीर सहित कई पारंपरिक व्यंजन तैयार किए, जिनकी सुगंध और स्वाद ने निर्णायकों और दर्शकों को आकर्षित किया। निर्णायक मुकेश भट्ट और सरिता कलूडा रहे।







