रुद्रप्रयाग–
नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) सहदेव सिंह की अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास और पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। साथ ही न्यायालय ने पीड़िता को विधिक प्रावधानों के तहत प्रतिकर (मुआवजा) देने का भी आदेश दिया है।
घटना के मुताबिक, 18 अगस्त 2024 को पीड़िता के पिता द्वारा थाना ऊखीमठ में प्रार्थना पत्र देकर सूचना दी कि उनकी 17 वर्षीय अविवाहित नाबालिग पुत्री गर्भवती है। जांच के दौरान डॉक्टरों ने पुष्टि की कि लड़की गर्भवती है और उसके पेट में चार माह का भ्रूण है। जब परिजनों ने पूछताछ की तो पीड़िता ने अपने जीजा का नाम बताया. तहरीर के आधार पर थाना ऊखीमठ में आरोपी के खिलाफ धारा पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
मामले की जांच महिला उपनिरीक्षक को सौंपी गई. पीड़िता के बयान दर्ज किए गए, जिसमें उसने स्पष्ट रूप से बताया कि आरोपी जीजा ने उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद पीड़िता का मेडिकल परीक्षण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अगस्त्यमुनि में कराया गया। बीते 22 अगस्त 2024 को पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय के सामने पेश किया, जहां से उसे ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया। सभी सबूतों और बयानों के आधार पर आरोपी के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में पेश की गई। ट्रायल के दौरान पीड़िता ने एक नवजात शिशु को जन्म दिया।
न्यायालय की अनुमति से पीड़िता, आरोपी और नवजात के डीएनए सैंपल टेस्ट को लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला, देहरादून भेजे गए. प्राप्त एफसीएल रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित हुआ कि नवजात शिशु के जैविक माता-पिता, पीड़िता और आरोपी ही हैं। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) सहदेव सिंह ने प्रॉसिक्यूटर और बचाव पक्ष की बहस सुनने के बाद आरोपी को उपरोक्त धाराओं में दोषसिद्ध करते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया कि पीड़िता को विधिक प्रावधानों के अनुरूप मुआवजा (कंपनसेशन) प्रदान किया जाए. इस प्रकरण में सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) आशीष नेगी ने प्रभावी पैरवी की।