दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड के लोगों को भी मिले फ्री बिजली-पानी
विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन-भत्ते और पेंशन बढ़ाने पर उठाए सवाल
अल्प मानदेय में काम कर रहे कर्मचारियों के हित में निर्णय ले सरकार
देहरादून। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने भाजपा द्वारा 2022 विधानसभा चुनाव में जनता से किए वादों को पूरा करने की मांग की। साथ ही दिल्ली की तरह उत्तराखंड के लोगों को भी बिजली और पानी फ्री देने की वकालत की। उन्होंने मौजूदा विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने और पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ोतरी पर भी सवाल खड़े किए। समिति ने जनता से किये वादों को याद दिलाने के लिए 18 फरवरी को बजट सत्र के दौरान विधानसभा जाने का निर्णय लिया है।
देहरादून प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में मूल निवास, भू-क़ानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान एक दृष्टिपत्र जारी किया था। उस दृष्टिपत्र में जनता से कई लुभावने वादे किए गए। जिसमें से 90 प्रतिशत वादे आज तक पूरे नहीं हुए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने बेरोजगार युवाओं के लिए मुख्यमंत्री प्रशिक्षु योजना शुरू करने की बात कही थी। जिसके तहत प्रत्येक बेरोजगार को एक साल तक तीन हजार रुपए देने का वादा शामिल था। सरकार बताए कि कितने युवाओं को प्रतिवर्ष यह धनराशि दी जा रही है।
इसके साथ ही पीएम किसान सम्मान निधि की तर्ज पर सीएम किसान प्रोत्साहन निधि में प्रतिवर्ष दो हजार देने की भी बात कही थी। हर जनपद में मेडिकल कॉलेज देने और जिले में एक अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में परिवर्तित करने की भी घोषणा की थी। यही नहीं वीर चंद्र सिंह गढ़वाली व्यावसायिक शिक्षा मिशन के तहत प्रत्येक ब्लॉक में एक कॉलेज की स्थापना होनी थी। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों के लिए जनरल विपिन रावत पूर्व सैनिक क्रेडिट गारंटी फण्ड ट्रस्ट स्थापित करने की भी घोषणा अधूरी है। इस ट्रस्ट के माध्यम से पांच लाख रुपए तक के ऋण के लिए पूर्व सैनिकों को 50 प्रतिशत की सीमा तक गारंटीकृत कवर दिया जाना था। इसके अलावा भी भाजपा द्वारा की गई अधिकतर घोषणाएं जमीन पर नहीं उतरी हैं।
मोहित डिमरी ने कहा कि भाजपा द्वारा दिल्ली की जनता को पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी सरकार की शुरू की गई फ्री बिजली और पानी की लाभ दिया जा रहा है। उत्तराखंड की जनता को भी फ्री बिजली और पानी दिया जाय। बिजली उत्पादन के बावजूद उत्तराखंड की जनता को महंगी दरों पर बिजली दी जा रही है। हिमालयी राज्य उत्तराखंड में पानी का भंडार होने के बावजूद जनता पानी का बिल भरने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में महिला समृद्धि योजना के तरह गरीब महिलाओं को 2500 रुपए देने का वादा किया गया है। इस योजना से उत्तराखंड की मातृशक्ति को लाभान्वित किया जाय।
संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन-भत्ते और पेंशन के मुद्दे को भी जोरशोर से उठाया। उन्होंने कहा कि गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र में विधायकों का वेतन भट्ट चार लाख तक किया गया और अब बजट सत्र में पूर्व विधायकों को 60 हजार रुपये पेंशन देने का प्रस्ताव पारित होगा। उन्होंने कहा कि क्या सिर्फ विधायकों और पूर्व विधायकों के ऐशोआराम के लिए ही सत्र आयोजित हो रहे हैं ? जनता के मुद्दों पर काम क्यों नहीं किया जा रहा ? उपनल और आउटसोर्स कर्मचारी समान कार्य के लिए समान वेतन देने की मांग को लेकर सड़कों पर लड़ रहे हैं। सेवानिवृत्त कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं। आशा, आंगनबाड़ी और भोजनमाताएं मानदेय बढ़ाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं। पीआरडी और पुलिस के जवान अपनी मांगों को लेकर कई बार गुहार लगा चुके हैं। अल्प मानदेय पर काम कर रहे अन्य कर्मचारी भी आंदोलित हैं। बेरोजगार युवा रोजगार के लिए भटक रहा है। लेकिन सरकार को सिर्फ अपने विधायकों और पूर्व विधायकों की चिंता है। कभी सरकार ने नहीं सोचा कि अल्प मानदेय में काम करने वाले कर्मचारी कैसे अपने परिवार का पेट पाल रहे होंगे। उन्होंने कहा कि 80 हजार करोड़ के कर्ज में डूबे राज्य की जनता के टैक्स का पैसा माननीय अपनी सुविधा के लिए खर्च कर रहे हैं। इसका संघर्ष समिति पुरजोर विरोध करेगी।
उन्होंने कहा कि 18 फरवरी से शुरू होने जा रहे बजट सत्र में संघर्ष समिति की टीम मूल निवास, भू-क़ानून के साथ ही इन तमाम मुद्दों को लेकर विधानसभा जाएगी और सरकार से सवाल करेगी। पत्रकार वार्ता में संघर्ष समिति के कॉर्डिनेट प्रमोद काला, कोर मेंबर विपिन नेगी, युवा प्रभारी आशीष नौटियाल, अनूप गोदियाल आदि मौजूद थे।