देहरादून–
भू कानून और मूल निवास समन्वय समिति समिति ने कहा कि जब तक सरकार इस मांग को पूरा नहीं करती है । तब तक आंदोलन जारी रहेगा। समिति ने बताया कि दो दर्जन से अधिक सामाजिक, धार्मिक संगठन 24 तारीख को आयोजित होने वाली रैली में शामिल होंगे। समिति ने सरकार की ओर से उप समिति बनाए जाने पर कहा कि राज्य सरकार समिति समिति का खेल-खेलकर भ्रम की स्थिति पैदा करना चाहती है।
शहीद स्मारक में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि सरकार ने मूल निवास को लेकर एक कमेटी का गठन किया है। इससे पहले भी कमेटी गठित की गई थी। लेकिन इस कमेटी की रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है। कहा सरकार मूल निवास को लेकर कमेटी बनाकर मामले को उलझाना चाहती है। जनता सरकार के बहकावे में नहीं आएगी।
उत्तराखंड स्टूडेंट फेडरेशन के केंद्रीय अध्यक्ष एवं संघर्ष समिति के कोर मेम्बर लुशुन टोडरिया ने कहा कि उत्तराखंड की जनता अपनी अस्मिता और अधिकारों को लेकर अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हो चुकी है। कहा मूल निवास कानून की कट ऑफ डेट की तारीख 26 जनवरी 1950 घोषित होनी चाहिए। गैर कृषक द्वारा कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगनी चाहिए।
राज्य आंदोलनकारी मोहन सिंह रावत एवं वन यूके टीम से अजय बिष्ट ने कहा कि राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार द्वारा विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान तथा लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
राज्य आंदोलनकारी क्रांति कुकरेती ने कहा कि मूल निवास को लेकर सरकार का शासनादेश पूरी तरह से जनता की आंखों में धूल झोंकने वाला है। मूलनिवास स्वाभिमान रैली को लेकर जिस तरह का उत्साह पूरे उत्तराखंड में दिख रहा है, उससे लोगों का ध्यान बंटाने के लिए सरकार ने यह दिखावा किया है। सरकार पहले ये तो बताए कि मूल निवास की सीमा वह किस तिथि को मानती है ।