उत्तरकाशी-सिलक्यारा सुरंग के अंदर ऑगर मशीन से बचाव अभियान को झटका लगने के बाद अब सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसके लिए शनिवार को ड्रिलिंग मशीन को पहाड़ी पर चढ़ाया गया। हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी भी बचाव दल का जोर सुरंग के अंदर ही मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू करने पर है।सुरंग के ऊपर से करीब 82 मीटर तक वर्टिकल ड्रिलिंग की जानी है। जिसमें करीब 48 घंटे तक का समय लग सकता है। हालांकि, अभी भी सुरंग के अंदर मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू कर एस्केप पैसेज तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम किया जा रहा था।इस कार्य में बार-बार मलबे में पड़ी सरिया व लोहे के पाइपों के कारण ड्रिलिंग बार-बार बाधित हो रही थी। गत शुक्रवार शाम को ड्रिलिंग के दौरान 25 एमएम की सरिया आने के चलते यहां ड्रिलिंग मशीन के ब्लेडों को काफी नुकसान पहुंचा।मशीन का बरमा पाइपों में उलझकर टूट गया, जिससे 800 एमएम पाइपों से तैयार एस्केप पैसेज भी बंद हो गया है। हालांकि, बरमें को टुकड़ों में काटकर निकालने का काम शुरू किया गया, जिसमें लंबा समय लग सकता है।इस बीच सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारियां तेज की गई हैं, जिसमें शनिवार शाम को एसजेवीएनएल ने ड्रिलिंग मशीन को सुरंग के ऊपर पहुंचाया। हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी भी बचाव दल का जोर सुरंग के अंदर ही मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू करने पर है।इसकी एक वजह यह भी है कि सुरंग के अंदर मलबे में करीब 47 मीटर तक ड्रिलिंग कर एस्केप पैसेज तैयार कर लिया गया है। वहीं, वर्टिकल ड्रिलिंग में नए सिरे से करीब 82 मीटर तक ड्रिलिंग करनी होगी, जिसमें किसी तरह का बाधा उत्पन्न हुई तो फिर नई समस्या खड़ी हो सकती है। हालांकि, इसके लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के विशेषज्ञों की टीम को भी बुला लिया गया है।उम्मीदों को फिर झटका…ऑगर से नहीं बना काम, अब इन चार योजनाओं पर ध्यान अब चार योजनाओं पर कार्य होगा। पहला मैन्युअली, यानि हाथ से खोदाई का। दूसरा सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग का, तीसरा बड़कोट की तरफ से कम ऊंचाई की सुरंग जल्द से जल्द बनाकर घटनास्थल पर पहुंचने का और चौथा सुरंग के दोनों किनारों पर समानांतर (हॉरिजेंटल) ड्रिलिंग का है।
सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर चल रहा अभियान फिलहाल थम गया है। ड्रिल करने वाली अमेरिकन ऑगर मशीन अवरोध की जद में आने से टूट गई। उसका 45 मीटर हिस्सा 800 मिमी पाइप के भीतर फंस गया। बचाव दलों ने 20 मीटर हिस्सा तो गैस कटर से काटकर बाहर निकाल लिया, लेकिन 25 मीटर बचे हुए हिस्से को काटने के लिए अब हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है। अब अभियान में कई दिन का समय लग सकता है।दीपावली की सुबह मलबा आने के बाद से सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के अंतिम चरण में पहुंच चुके अभियान को अब तक का सबसे बड़ा झटका शुक्रवार की देर रात लगा। जब ड्रिल मशीन टूट गई और मशीन के ब्लेड 800 मिमी पाइप के भीतर ही फंस गए। बताया जा रहा कि मशीन की मदद से अभी तक करीब 47 मीटर तक ड्रिल हुई है। इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने मीडिया से बातचीत में बताया कि ऑगर मशीन अब काम करने लायक नहीं बची है। उन्होंने ये भी कहा कि क्रिसमस तक सभी मजदूर सकुशल लौट आएंगे।हालांकि, अन्य अधिकारियों का कहना है कि अभी अभियान में थोड़ा समय और लगेगा। मशीन का ब्लेड फंसा हुआ है, जिसे हैदराबाद से मंगाए गए प्लाज्मा कटर से काटा जाएगा। फिर बचे हुए हिस्से में मैन्युअल यानी हाथ से खोदाई करके पाइप को आगे बढ़ाने का भी प्रयास किया जाएगा। बताया जा रहा है कि मजदूरों ने भी कुछ हिस्सा दूसरी ओर से साफ किया है। माना जा रहा है कि ब्लेड निकालकर दोबारा मैन्युअल खोदाई करने में तीन से चार दिन का समय लगेगा।इन चार योजनाओं परहोगा काम
योजना एक : ऑगर मशीन के फंसे हिस्से को काटकर निकाला जाएगा। इसके बाद मैन्युअली यानि मजदूर हाथों से खोदाई कर मलबा निकालेंगे।