रुद्रप्रयाग-जिले की केदारघाटी के ऊंचाई वाले बुग्यालों में भेड़ पालकों द्वारा लाई मेला धूमधाम से मनाया गया। मेले में भेड़ पालकों ने भेडों से बड़ी मात्रा में ऊन करतन कर छटाई की गई। ग्रीष्मकाल के चलते भेड पालक इन दिनों ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहते है जबकि दीपावली पर्व से पहले वह गांव की ओर लौट आते है।मखमली बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़ पालकों के लाई त्योहार मनाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। बता दें केदार घाटी सहित विभिन्न ऊंचाई वाले इलाकों में लाई मेला धूमधाम से मनाया गया। मेले में ग्रामीण व भेड़ पालकों के परिजनों ने बढ़-चढकर हिस्सा लिया। मेले में भेड़ो की ऊन की छटाई की गई। विसुणीताल में प्रवास करने वाले भेड़ पालक बीरेन्द्र सिंह धिरवाण एवं टिंगरी बुग्याल में प्रवास करने वाले भेड़ पालक प्रेम भटट् ने बताया कि भेड़ पालकों द्वारा लाई मेला मनाया जाता है।
उन्होंने बताया कि दीपावली के निकट गांव लौटने की परम्परा है। वन विभाग के अनुभाग अधिकारी आनन्द सिंह रावत ने बताया कि लाई मेले में भेड़ पालकों व ग्रामीणों में आपसी प्रेम व भाईचारा देखने को मिलता है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार भेड़ पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने की पहल करती है, तो ऊन व्यवसाय में फिर इजाफा हो सकता है।