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उत्तराखंड (देहरादून)-
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने फर्जी प्रमाणपत्रों के मामलों में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। सीएस ने जन्म-मृत्यु निबंधन प्रक्रिया को अत्यंत सरल बनाने का निर्देश दिया है, ताकि आम लोगों को प्रमाण पत्र के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़े. श्रीमती राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र भारत सरकार एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे स्कूलों में नामांकन, विधवा पेंशन प्राप्त करना, जीवन बीमा राशि प्राप्त करना आदि के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसे प्राप्त करने के लिए कभी-कभी पारिवारिक जालसाज झांसा में आकर फर्जी प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेते हैं। मोटी रकम के बदले सर्टिफिकेट लेते हैं और बाद में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा जन्म मृत्यु पंजीकरण के लिए भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट से मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट के भी कई मामले संज्ञान में आए हैं।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भी आम जनता से अपील की है कि जनता ऐसे जालसाजों से सावधान रहें और प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए अपने क्षेत्र के रजिस्ट्रार से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि फर्जी जन्म-मृत्यु पंजीकरण को रोकने और आम जनता के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा एक नया सुदृढ़ पोर्टल बनाया गया है। crsorgi. गवर्नमेंट इन) लॉन्च किया गया है। इसके माध्यम से परिवार का कोई भी सदस्य पोर्टल पर अपनी आईडी बनाकर परिवार में जन्म या मृत्यु के पंजीकरण के लिए घर बैठे आवेदन कर सकता है। उसे बस एक ईमेल और एक मोबाइल नंबर की आवश्यकता होगी। आवेदन आवेदक किसी भी समय अपने आवेदन की स्थिति भी देख सकते हैं। संबंधित रजिस्ट्रार द्वारा आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों से संतुष्ट होने पर आवेदन स्वीकार कर डिजिटल प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। जारी किए गए इस डिजिटल प्रमाणपत्र की एक प्रति आवेदक द्वारा दी गई ईमेल आईडी पर भी तुरंत उपलब्ध है, जिसे वह किसी भी समय डाउनलोड कर उपयोग कर सकता है। मुख्य सचिव द्वारा इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि चूंकि यह कार्य आम जनता के लिए है, इसलिए जनता के बीच इसका समुचित प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है, जिसके लिए संबंधित विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया.
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी संबंधित विभागों के साथ प्रदेश में चल रहे जन्म-मृत्यु पंजीकरण कार्य की समीक्षा की। मुख्य सचिव, सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, जनगणना निदेशक, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा स्वास्थ्य निदेशालय, पंचायत राज, राजस्व विभाग, शहरी विकास, उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल, वित्त एवं संख्या निदेशालय तथा जनगणना कार्य निदेशालय, भारत सरकार आदि मौजूद थे।