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Home उत्तराखंड

पहाड़ के सौ काश्तकारों के साथ जड़ी बूटी और खेती पर हुई चर्चा

by पहाड़वासी
February 21, 2025
in उत्तराखंड
Reading Time: 2 mins read
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हैप्रेक में दो दिवसीय कार्यशाला में किसानों ने सीखे गुर
श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक), क्षेत्रीय सह सुविधा केंद्र (उतरी क्षेत्र 1) राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय, जोगिंदर नगर, हिमाचल प्रदेश और उद्योगिनी संस्था के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती, मूल्य संवर्धन एवं बाजार एकीकरण विषय पर दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। शिविर में घेस, बलांण, कनोल, सीतेल सहित विभिन्न स्थानों से पहुंचे 100 से अधिक काश्तकारों ने जड़ी-बूटी के कृषिकरण एवं उसके बाजारीकरण के बारे में जानकारी जुटाई। हैप्रेक संस्थान के प्रो. केके नंदा सभागार में शुरू हुई कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (भरसार) के उद्यान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. एके जोशी ने कहा कि आज हमारे खेत खलियान लगातार खाली होते जा रहें है, जो कि बडी चिंता का विषय है। गांव के गांव खाली हो रहें है, हजारों हैक्टर भूमि बंजर पड़ी हुई है। कहा कि बंजर पड़ी भूमि में 170 प्रजातियों की ऐसी सगन्ध और औषधीय पौध लगाकर हराभरा कर सकते है।

साथ ही उत्तराखंड को ऑक्सीजन के हब रूप में विकसित किया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवाडी ने सरकार की ओर से संचालित योजनाओं के बारे में बताया। कहा कि सरकार की किसानों के जिए तमाम योजनाएं तो चला रहीं है, लेकिन काश्तकार कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को 20 नाली में जड़ी-बूटी की खेती की योजना चला रही थी, लेकिन किसी भी काश्तकार व जनप्रतिनिधि द्वारा इसका लाभ नहीं लिया। बताया कि काश्तकारों को जागरूक होकर योजनाओं का लाभ लेना होगा। कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से जुड़े आरसीएफसी एनएमपीबी, आयुष मंत्रालय, जोगिंदर नगर, हिमाचल प्रदेश के निदेशक डा. अरूण चंदन ने कहा कि हिमाचल और उत्तराखंड दोनों ही जड़ी-बूटी के कृषिकरण एवं संरक्षण के लिए बहुत महत्वपूर्ण जगह है। कहा कि यहां उगने वाले औषधीय पौधे पूरे विश्व में कहीं नहीं पाये जाते। कहा कि हाल ही में कृषि मंत्रालय और आयुष मंत्रालय की सुंयक्त बैठक में जड़ी-बूटी की खेती को राष्ट्रीय स्तर पर शामिल कर दिया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. जेएस चौहान ने काश्तकारों से उद्यमशील बनने को कहा। कार्यशाला में साथ हैप्रेक कें निदेशक डा. विजयकांत पुरोहित ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा अंत में कार्यशाला की समन्वयक डा. बबीता पाटनी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर प्रो. एमसी सती, एनके गुप्ता आरसीएफसी से मिनाक्षी ठाकुर, अविका शुभा, डा. विजयलक्ष्मी, डा. जेएस बुटोला, डा. टीएस बिष्ट, डा. लक्ष्मण कंडारी, डा. सुदीप सेमवाल के साथ ही उद्योगिनी संस्था के निदेशक शिवम पंत, ब्लॉक संयोजक मनीष पंवार सहित आदि मौजूद थे।

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