अगस्त्यमुनि-सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अगस्त्यमुनि में जनरल सर्जन के कार्यभार ग्रहण करने से आस-पास की लगभग एक लाख की आबादी को बड़ी राहत मिली है। वहीं छोटे ऑपरेशन सीएचसी में होने से जिला अस्पताल का बोझ भी काफी कम हो जायेगा। सीएचसी अगस्त्यमुनि में 26 वर्ष बाद फिर से ओटी में चहल पहल होने लगी है।
वर्ष 1995-96 में डॉ आनन्द बोहरा इस अस्पताल में सर्जन रहे थे। उनके जाने के बाद यहां का ओटी एकदम सुनसान हो गया था। अब डॉ वैभव विशाल सिंह के सर्जन का पद पर कार्यभार ग्रहण करने के बाद सीएचसी के ऑपरेशन थियेटर को संवारकर उसे छोटे मोटे ऑपरेशन के लायक बना कर ऑपरेशन करना प्रारम्भ कर दिया है। उन्होंने फाटा ग्राम के निवासी मंगल सिंह (53) का एक कठिन ऑपरेशन कर इसका श्रीगणेश किया। उसमें उनका साथ दिया स्टाफ नर्स रोमा एवं निधि ने। मंगल सिंह का पूर्व में पित्ताशय की पत्थरी का ऑपरेशन हुआ था और फिर से उन्हें पेट की समस्या होने लगी थी। जांच करने पर पाया कि उनकी आंते पलट गई थी। डॉ वैभव ने सफलता पूर्वक उनका ऑपरेशन कर उन्हें राहत प्रदान की। अभी फिलहाल वे अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। डॉ वैभव ने बताया कि जनवरी माह में जब उन्होंने अगस्त्यमुनि में कार्यभार ग्रहण किया तो यहां पर ऑपरेशन थियेटर की स्थिति ठीक नहीं थी। दो माह तक वे ऑपरेशन के लिए संसाधन जुटाते रहे। अब कहीं ओटी की हालत छोटे मोटे ऑपरेशन लायक हो पाई है। अभी भी सर्जरी के लिए आवश्यक उपकरणों की काफी कमी है। फिलहाल यदि अस्पताल में कॉटरी मशीन, जो रक्त के रिसाव को रोकती है, मिल जाय तो काफी राहत मिल जायेगी। इसके लिए केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत से भी अनुरोध किया है और उन्होंने शीघ्र ही मशीन लगवाने का आश्वासन दिया है।
सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विशाल वर्मा ने बताया कि कम संसाधनों के बावजूद अस्पताल अपनी क्षमता से अधिक मरीजों का इलाज कर रहा है। एक्सरे मशीन (सीआर) अस्पताल में लग गई है तथा सुचारू रूप से कार्य कर रही है। वहीं अल्टाªसाउण्ड मशीन भी लग गई है तथा कुछ दिनों में वह भी कार्य करने लग जायेगी। सर्जन के आने से काफी राहत मिल गई है। एक दो माह में निश्चेतक विशेषज्ञ भी सीएचसी को मिल जायेगा। अभी श्रीनगर से निश्चेतक डॉ बुलाना पड़ रहा है। ओटी तकनीकी सहायक, स्टाफ नर्स एवं वार्ड ब्यॉय की कमी से ऑपरेशन में दिक्कतें आयेंगी। सीएचसी के लिए भवन की कमी भी हो रही है। ओपीडी हेतु चिकित्सकों को कमरा नहीं मिल पा रहा है। वहीं अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों के आने पर उनके लिए ओपीडी हेतु कमरा उपलब्ध कराना मुश्किल हो जायेगा। अस्पताल में केवल 24 बेड उपलब्ध हैं। सीएचसी अगस्त्यमुनि में कमियों के बाबजूद कम संसाधनों के साथ सर्जन के कुशलता पूर्व कार्य करने से स्थानीय जनता को काफी राहत मिली है।