बच्चों ने तैयार की दीवार पत्रिका और खेलों में की मस्ती
श्रीनगर(पौड़ी)। अल्मोड़ा से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी, किताब कौथिक अभियान तथा अजीम प्रेमजी फाउंडेशन श्रीनगर के संयुक्त तत्वावधान में डालमियां धर्मशाला में आज बच्चों की 5 दिवसीय अभिव्यक्ति कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री डॉ. रचित गर्ग और डॉ. दिगपाल ने कहा कि पुस्तकें हमारी मित्र होती हैं। मोबाइल संस्कृति के आज के दौर में बच्चे पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए बच्चों को दोष देना ठीक नहीं हैं। एक जागरूक शिक्षक,साहित्यकार व अभिभावक बतौर हम बड़े लोगों को सबसे पहले पठन-पाठन की आदत विकसित करनी होगी। प्रधानाचार्य श्री राजेंद्र प्रसाद किमोठी ने कहा कि पुस्तकें तथा पत्र पत्रिकाएं स्वयं खरीदकर पठन-पाठन की संस्कृति को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत हैं। वक्ताओं ने कहा कि बच्चे बहुत कुछ जानते हैं। उनमें गजब की प्रतिभा होती है। उनकी प्रतिभा निखारने तथा उन्हें मौखिक तथा लिखित अभिव्यक्ति का अवसर देने के लिए गैर शैक्षणिक गतिविधियां मील का पत्थर साबित हो सकती हैं।
बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला ने बताया कि बालप्रहरी द्वारा अभी तक भारत के 16 राज्यों में 309 पांच दिवसीय कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि 5 दिवसीय कार्यशाला में बच्चों को मौखिक व लिखित अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित किया जाना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। उनके अनुसार कार्यशाला में प्रत्येक बच्चे की एक हस्तलिखित पुस्तक तैयार की जाएगी। कार्यशाला में बाल कवि सम्मेलन तथा नुक्कड़ नाटक आदि विधाओं से बच्चों को जोड़ा जाएगा।
किताब कौथिक अभियान से जुड़े क्रिएटिव उत्तराखंड के हेम पंत ने सभी का स्वागत करते कहा कि उत्तराखंड में जन सहयोग से 12 किताब कौथिक हो चुके हैं। श्रीनगर में प्रस्तावित किताब कौथिक नगर निकाय चुनाव के कारण स्थगित किया गया है। उन्होंने कहा कि बाल लेखन कार्यशाला भी किताब कौतिक का ही एक भाग है। किताब कौतिक में जहां देश-विदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों की पुस्तकें होंगी वहीं कार्यशाला में श्रीनगर के बच्चों द्वारा तैयार हस्तलिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगी।
कार्यशाला के पहले दिन बच्चों को कविता की जानकारी देते हुए श्री प्रकाश पांडे ने कहा कि कविता कोई सीखाने की विधा नहीं है। हमारे आंतरिक मन के विचार ही कविता हैं। उन्होंने कहा कि हमें कविता व कहानी लिखने से पहले हमें अपने पाठ्य पुस्तक व दूसरे लेखकों कीकविताओं व कहानियांं को पढ़ना भी जरूरी है। कविता सत्र में पहले बच्चों ने अपने पाठ्य पुस्तक की कविताएं सुनाई। उसके बाद बच्चों ने पूछा गया कि इन्हें कविता क्यों कहा जाता है। बच्चों ने अपनी भाषा में बताया कि कविता में तुक, लय, भाव तथा शीर्षक आदि का होना अनिवार्य है। उसके बाद बच्चों ने समूह में कविता तैयार की। दिए हुए शब्दों के आधार पर कविता तैयार की।
कार्यशाला की शुरुआत ‘ज्ञान का दीया जलाने’ समूह गीत से हुई।आज संपन्न नाम लेखन प्रतियोगिता, शब्द लेखन प्रतियोगिता, गिनती लिखो प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता , सामान्य ज्ञान में .विजेता होमजा पाण्डेय, पवन देव,कनिका गोतयाल,सानिया मिर्जा,देवज्ञ पाण्डेय को पुरस्कार में बालसाहित्य दिया गया। कार्यशाला में शामिल बच्चों द्वारा बनाई गई दीवार पत्रिका “श्रीनगर टाइम्स” का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतिभागी बच्चों में से ही देवज्ञ पाण्डेय व कुमारी आरना भट्ट ने किया। बच्चों ने तोता कहता है, जैसा में कहूं, कितने भाई कितने, कितना बड़ा पहाड़, पिज्जा हट आदि खेलों में खूब मस्ती की। इस अवसर पर बच्चों की हौसला अफजाई के लिए प्रदीप अथ्वाल, मींमासा, मुकेश काला, अशोक जोशी, रेखा चमोली, नेहा मंमगाई, मनीषा, महेश गिरि, मदन लाल डंगवाल और शंभू प्रसाद भट्ट अजय सेमवाल, नरेश पंवार, व महेश गिरि का रहा।