ऊखीमठ। तुंगनाथ घाटी एवं मध्यमहेश्वर घाटी में हक – हकूकधारियो व स्थानीय व्यापारियों द्वारा किये बन्द के ऐलान का खासा असर रहा। दोनों स्थानों में पर्यटकों एवं तीर्थ यात्रियों को सेवायें मुहैया कराने वाले व्यापारियों व हकूकधारियो ने अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर मक्कूबैण्ड से तुंगनाथ एवं गौण्डार से मध्यमहेश्वर तक बंद रखे । इस दौरान इन स्थानों पर पहुंचने वाले यात्रियों को चाय-पानी तक नसीब नहीं हो पाया। तुंगनाथ घाटी के चोपता में तहसील प्रशासन व वन विभाग द्वारा हक – हकूकधारियो को उचित आश्वासन देने के बाद रविवार से सभी व्यापारी प्रतिष्ठान खोलने का निर्णय लिया गया मगर मदमहेश्वर घाटी के गौण्डार गाँव में अधिकारियों व ग्रामीणों के मध्य वार्ता जारी है। तुंगनाथ घाटी में मक्कूबैण्ड से तुंगनाथ धाम तक कार्य करने वाले सभी व्यवसायी प्रात:सात बजे अपनी चार सूत्रीय मांगों के समर्थन में सभी व्यापारी,घोड़ा खच्चर संचालक एवं टैक्सी मैक्सी का संचालन करने वाले वाहन स्वामी चोपता में एकत्रित हुए।तथा चोपता में सामूहिक बैठक का आयोजन किया गया।
सभा को संबोधित करते हुए व्यापार संघ अध्यक्ष चोपता भूपेंद्र मैठाणी ने कहा कि क्षेत्रीय हक- हकूकधारी व व्यापारी लोगों युगों से अपनी परम्पराओं का निर्वहन करते आए हैं मगर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा बार – बार हक हकूकधारी व व्यापारियों को सेंचुरी वन अधिनियम का हवाला देकर उत्पीड़न किया जा रहा है उन्होने कहा कि केदारनाथ से लेकर कल्पेश्वर तक के भू भाग के विकास में केदरनाथ वन्य जीव प्रभाग का सेंचुरी वन अधिनियम लागू होने से तीर्थ व पर्यटक स्थलों में मूलभूत विद्युत,संचार, की,यातायात आदि सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा विगत वर्ष शीतकालीन सीजन में चोपता से तुंगनाथ – चन्द्र शिला जाने वाले पर्यटकों से शुल्क वसूला गया मगर पैदल मार्ग पर कूड़ेदान, शौचालय व प्रतीक्षालयों का निर्माण न होने से पर्यावरण को खासा नुक़सान पहुंच रहा है। प्रधान विजयपाल नेगी व सरपंच विजय सिंह चौहान ने कहा कि क्षेत्रीय जनता द्वारा चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग के दोनों तरफ 200 के भूभाग को सेंचुरी वन अधिनियम से मुक्त रखने,आदिगुरु शंकराचार्य की परम्परा से हक हकूक़ धारियों के अधिकारों को यथावत रखने की मांग लम्बे समय से की जा रही है मगर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा परम्परा से हस्तक्षेप किया जा रहा है।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि तुंगनाथ घाटी में फैली समस्याओं के निराकरण के लिए समय – समय पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से गुहार तो लगाई जाती है मगर जनप्रतिनिधियों द्वारा उनकी मांगों पर किसी प्रकार का अमल नही किया जाता है। बैठक में पहुंचे एसडीएम जितेंद्र वर्मा,केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के रेज अधिकारी पंकज ध्यानी ने हक – हकूकधारियो व व्यापारियों को आश्वासन दिया कि उनकी चार सूत्रीय मांगों के निराकरण के लिए शासन से पत्राचार किया जायेगा तथा क्षेत्र के चहुंमुखी विकास के लिए सामूहिक पहल की जायेगी। वार्ता के बाद तुंगनाथ घाटी में रविवार से सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान पूर्व की भांति खोलने का निर्णय लिया गया।वही, समाचार लिखे जाने तक मदमहेश्वर घाटी के गौण्डार गाँव में हक – हकूकधारियो व ग्रामीणों से वार्ता करने पहुंचे मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार व राजस्व उप निरीक्षक दिवाकर डिमरी के मध्य वार्ता जारी है!
इस मौके प्रधान अरविंद रावत,विजयपाल नेगी, सचिव विक्रम भंडारी,योगेन्द्र भंडारी, अमन भंडारी,शिवानंद पंवार,अशोक चौहान,श्रीचन्द्र सिह रावत,बीरबल चौहान,नरेंद्र चौहान,कमल सिहं,लक्ष्मण सिंह, हापला घाटी प्रधान संघ अध्यक्ष धीरेन्द्र राणा,सतेंद्र नेगी,सज्जन सिंह,नवीन राणा,प्रदीप बर्तवाल, सतीश मैठाणी, आनन्द सिंह नेगी, मोहन प्रसाद मैठाणी, यशपाल सिंह नेगी सहित तुंगनाथ व हापला घाटी के जनप्रतिनिधियों, हक – हकूकधारी, व्यापारी व ग्रामीण उपस्थित रहे।