चमोली-बदरीनाथ धाम के पास भगवान नारायण की जन्म स्थली लीलाढुंगी में अभिषेक पूजा के साथ भगवान नर-नारायण का जन्मोत्सव संपन्न हो गया है। जन्मोत्सव के पहले दिन बुधवार को भगवान नर-नारायण की डोली का देश के अंतिम गांव माणा में अपनी माता देवी मूर्ति से मिलने पहुंचे।जन्मोत्सव के समापन पर गुरुवार सुबह भगवान नर-नारायण की डोली बदरीनाथ धाम से बामणी गांव स्थित लीलाढुंगी पहुंची। यहां श्रद्धालुओं ने फूलों से डोली का स्वागत किया। इसके बाद नायब रावल , धर्माधिकारी और आचार्यों ने विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर भगवान नर-नारायण का अभिषेक किया। डोली के वापस लौटने पर नर-नारायण की मूर्तियों को मंदिर के परिक्रमा स्थल में स्थापित किया। शास्त्रीय मान्यता है कि लीलाढुंगी में ही भगवान नारायण ने नर-नारायण रूप में अवतार धारण कर बाल लीलाएं की थीं। तब बदरीशपुरी भगवान शिव का धाम था और यहां विराजमान होने के लिए ही भगवान नारायण ने लीलाढुंगी में बालरूप धारण किया था। माता पार्वती की जिद पर भगवान शिव इस बालक को अपनी कुटी तक लाए थे। शास्त्रों में वर्णित है कि जब भगवान शिव स्नान करके लौटे तो बालक ने कुटी के द्वार अंदर से बंद कर दिए। इसी स्थान पर विराजमान हो गए। तब शिव-पार्वती बदरीशपुरी को छोड़कर केदारपुरी चले गए। इसी उपलक्ष्य में हर साल बदरीनाथ धाम में भगवान नर-नारायण का जन्मोत्सव मनाया जाता है।