संजय चौहान!
सीमांत जनपद चमोली में पर्यटन की अपार संभावनाए हैं। यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल है जो आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर हैं। यदि इन पर्यटक स्थलों को सुनियोजित तरीके से विकसित किया जाय तो ये आनें वाले समय में यहां रोजगार के नये अवसरों का सृजन होगा जो पहाड़ से हो रहे पलायन को रोकने में मील का पत्थर साबित होगा। आज देहरादून में उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद मुख्यालय में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज नें घेस बगजी, नागाड ट्रैक ऑफ द इयर का शुभारंभ किया। पर्यटन मंत्री नें गढ़ी कैंट स्थित यूटीडीबी से बागेश्वर जिले के पिंडारी ग्लेशियर ट्रैक और चमोली जिले में बगची बुग्याल ट्रैक के लिए ट्रैकिंग दलों को रवाना किया और ट्रैक के शुभारंभ के अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों को बधाई दी। इस अवसर पर उन्होने कहा की घेस बगजी, नागाड ट्रैक में पर्यटन गतिविधियां संचालित होने से पिंडर घाटी में उन्होने कहा की है हमारा लक्ष्य है कि ये ट्रैक भी केदारकंठा की भांति विंटर ट्रैकिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हो सके जिससे पिंडर घाटी में रोजगार के अवसर बढेंगे साथ ही साहसिक पर्यटन के लिए नयीं राहें खुलेंगी।
यहां हैं ट्रैक ऑफ द ईयर घेस बगजी, नागाड ट्रैक..
सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाॅक में प्रकृति नें अपना सब कुछ न्योछावर किया है। यहाँ की बेपनाह खूबसूरती हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। एशिया के सबसे बडा आली और वेदनी के मखमली घास के बुग्याल हो या फिर रूपकुण्ड और ब्रहमताल की सुंदरता। जिनको देखने के बाद हर कोई अभिभूत हो जाता है। लेकिन इन सबके इतर पिंडर नदी और कैल नदी के बीच में लगभग 25 किमी का मानमती- चन्याली-सौरीगाड- नागाड- बगजी- दयालखेत- घेस, ट्रैकिंग रूट हिमालय का सबसे खूबसूरत ट्रैक हैं। यदि इस रूट को विकसित करके यहाँ पर्यटन की गतिविधियों को संचालित किया जाता है तो ये उत्तराखंड के पर्यटन के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यही नहीं इससे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। जो इस सदूरवर्ती इलाके से रोजगार के लिए हो रहे पलायन को रोकने में भी मददगार साबित होगा। गौरतलब है कि यह ट्रैकिंग रूट दो जगहों से किया जा सकता है। पहला देवाल की पिंडर घाटी में देवाल से मानमती तक गाडी में फिर वहां से चन्याली- सौरीगाड होते हुए नागाड बुग्याल जहां से बगजी बुग्याल होते हुये दयालखेत और अंत में घेस पहुंचा जा सकता है। नागाड जो समुद्रतल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक रमणिक स्थल है जहां वर्षाकाल में सोरीगाढ़ एवं चन्याली के पशुपालक 2-3 महीने अपने मवेशियों के साथ रहते हैं। यहाँ पहुंचकर प्रकृति की गोद में जो आनंद और सुकून मिलता है उसे शब्दों में बंया नहीं किया जा सकता है। जबकि दूसरा रास्ता कैल घाटी में देवाल से घेस तक गाडी में फिर वहां से दयालखेत- बगजी बुग्याल- नागाड- सौरीगाड- चन्याली होते हुए मानमती पहुंचा जा सकता है। बगजी बुग्याल 3200 मीटर की ऊचाई और लगभग 4 किमी के विस्तृत भू भाग पर अव्यवस्थित है।
इस ट्रैक से होते हैं हिमालय के नयनाभिराम दीदार!
इस ट्रैकिंग रूट पर आपको हिमालय के मखमली घास के बुग्याल, हिमाच्छादित शिखर, पहाड़ की परम्परागत छानियां, ताल, बादलों और फूलों का अदभुत संसार, हिमालय के पशु पक्षियों का कलरव आनंदित करता है जबकि हिमालय की बेपनाह सुंदरता और सूर्य के उगने व ढलने का नयनाभिराम दृश्य भी देखने को मिलेगा। इस ट्रैक से एक नजर में गंगोत्री, चौखंबा, नंदा घुंघटी, नंदा देवी वेस्ट, त्रिशूल, मृगथूनी, नंदा देवी ईस्ट, पंचाचूली और तवाघाट तक की समूची पर्वत श्रृंखला एक नजर में दिखायी देती है। वहीं बगची से लगे नवाली, दोलाम, बुनिया, मिनसिंग, पंचपाटी और तमाम दूसरे बुग्याल बेहद दर्शनीय हैं। इस ट्रैक रूट को करवाने के लिए आपको स्थानीय ट्रैकिंग गाइड आसानी से मिल जाते हैं।
आपको बताते चलें की उत्तराखंड में मात्र आठ प्रतिशत लोग ही पर्यटन से सीधा फायदा रोजगार के रूप में ले रहे हैं। पलायन आयोग द्वारा विगत दिनों चमोली की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी जिसमें चमोली से रोजगार के लिए पलायन करने वाले लोगों का प्रतिशत 49.30 है। जिसमें से 43% युवा 26- 35 वर्ष की उम्र के हैं। ऐसे में यदि इन युवाओं को अपनें ही घर में रोजगार के अवसर मिलते हैं तो जरूर पलायन पर रोक लग सकेगी। पलायन आयोग ने भी माना है कि यदि चमोली के पर्यटन स्थलों को विकसित करके इनके प्रचार प्रसार किया जाय तो यहाँ पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। इसके अलावा यहाँ ईको टूरिज्म, साहसिक पर्यटन, ट्रैकिंग, हाइकिंग, राफ्टिंग, वन्य जीव पर्यटन को बढ़ावा देते हुए पर्यटन गतिविधियों को संचालित किया जाता है तो इससे जरूर रोजगार के अवसर बढेंगे और स्थानीय लोगों को आजीविका के साधन उपलब्ध होंगे। जिले में पर्यटन गतिविधियाँ बढने सेस्थानीय उत्पादों को बाजार भी मिलेगा और यहाँ की पारम्परिक लोकसंस्कृति को बढावा भी मिलेगा।
देवाल ब्लाॅक के ब्लाॅक प्रमुख दर्शन दानू नें कहा की मानमती- चन्याली-सौरीगाड- नागाड- बगजी- दयालखेत- घेस, ट्रैकिंग रूट में पर्यटन गतिविधियां शुरू होने से पिंडर घाटी में रोजगार के नये अवसरों का सृजन हो सकेगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा। उत्तराखंड में नागाड-बगजी जैसे दर्जनों स्थल ऐसे हैं जो पर्यटन के लिहाज से मील का पत्थर साबित हो सकतें हैं।