उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर तस्वीर कुछ हद तक साफ होती नजर आ रही है. शनिवार को निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रवर समिति की बैठक हुई थी. हालांकि बैठक में तो ओबीसी आरक्षण पर कोई हल नहीं निकाला, लेकिन निकाय चुनाव दिसंबर तक होने की उम्मीद अब जरूर की जा रही है. आगामी निकाय चुनाव भी 2011 की जनगणना के आधार पर ही कराए जा सकते हैं। वहीं, धामी सरकार उत्तराखंड हाईकोर्ट में 9 नवंबर से पहले निकाय चुनाव कार्यक्रम जारी करने और 25 दिसंबर से पहले संपन्न कराने का एफिडेविट भी दे चुकी है. दरअसल, देहरादून विधानसभा भवन में आज पांच अक्टूबर शनिवार को निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर गठित की गई प्रवर समिति की बैठक आयोजित की गई. बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली।
विधानसभा अध्यक्ष ने गठित की गई इस प्रवर समिति का शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को सभापति बनाया है. समिति के सदस्य के रूप में विधायक विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चौहान, खजान दास, शहजाद अली, ममता राकेश और हरीश धामी हैं। नगर निकाय के चुनाव 2011 की जनगणना के आधार पर हो सकते हैं। विधानसभा में हुई प्रवर समिति की बैठक के बाद शनिवार को शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने यह जानकारी दी। शहरी विकास मंत्री अग्रवाल ने कहा कि सरकार 2018 की तर्ज पर 2024 के निकाय चुनाव भी 2011 की मतगणना के आधार पर कराने जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रवर समिति की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई और यह निर्णय लिया गया है। विदित है कि गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान पेश किए गए नगर निकाय संशोधन विधेयक को प्रवर समिति के हवाले कर दिया गया था।
भाजपा विधायकों की मांग थी कि नगर निकाय संशोधन विधेयक में ओबीसी सर्वे के लिए मानक तय किए जाएं। ताकि राज्य के बाहर से आए लोगों को राज्य में ओबीसी का लाभ न मिल पाए। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी की ओर से शहरी विकास मंत्री प्रेचमंद अग्रवाल की अध्यक्षता में प्रवर समिति का गठन किया गया है। इस समिति की अभी तक तीन बैठकें हो चुकी हैं। पहले माना जा रहा था कि समिति की सदन में पेश होने वाली रिपोर्ट के आधार पर पारित होने वाले विधेयक के प्रावधानों के तहत निकाय चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन अब साफ हो गया है कि निकाय चुनाव 2011 की जनगणना के आधार पर ही कराए जाएंगे।