देहरादून-यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने तीन और आरोपितों के खिलाफ गैंगस्टर लगा दी है। इससे पहले एसटीएफ की ओर से हाकम सिंह, केंद्रपाल व राजेश चौहान सहित 21 आरोपितों पर गैंगस्टर की कार्रवाई की थी।एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि गिरोह के साथ मिलकर परीक्षा में धांधली करने में सक्रिय भूमिका निभाने पर तीन अन्य आरोपित गौरव नेगी निवासी नजीबाबाद पोस्ट सूर्यनगर थाना किच्छा ऊधमसिंहनगर, विपिन बिहारी निवासी ग्राम न्यामपुर थाना तालगांव जिला सीतापुर उत्तर प्रदेश वर्तमान निवासी जानकीपुर लखनऊ यूपी और संजीव कुमार चौहान निवासी गुलमोहर गार्डन राजनगर स्टेशन गाजियाबाद यूपी, मूल निवासी ग्राम ताराबाद तहसील ठाकुरद्वारा जिला मुरादाबाद यूपी के खिलाफ गैंगस्टर लगाई है। एसएसपी ने बताया कि तीनों आरोपित इस समय सुद्धोवाला जेल में बंद हैं।
वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सात दिन का विधानसभा सत्र दो दिन में समेटने, वनंतरा रिसार्ट प्रकरण, यूकेएसएसएससी व सहकारिता भर्ती घोटाले सहित कई अन्य मुददों पर विधानसभा अध्यक्ष और राज्य सरकार पर निशाना साधा। उत्तराखंड प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में गोदियाल ने कहा कि सरकार को वनंतरा रिसार्ट प्रकरण से जुड़े वीआइपी का नाम उजागर करना चाहिए था, लेकिन सात दिन का विधानसभा सत्र दो दिन में समाप्त करने की वकालत कर स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने जनता को निराश किया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक के बाद एक हत्याएं हो रही हैं। हम उम्मीद कर रहे थे कि सात दिन के सत्र में प्रदेश में कानून व्यवस्था सहित अन्य ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होगी, लेकिन विपक्ष को चर्चा का समय नहीं दिया गया।वहीं गोदियाल ने आरोप लगाया कि एसआइटी का गठन वनंतरा प्रकरण के आरोपितों को बचाने के लिए किया गया है। संसदीय कार्य मंत्री कह रहे हैं कि जिस वीआइपी की बात की जा रही है, वह कोई वीआइपी नहीं, बल्कि कमरे का नाम है। यह सरासर झूठ है।
उन्होंने कहा कि यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले में गिरफ्तार आरोपितों को तुरंत जमानत मिलना भी इस बात का संकेत है कि सरकार आरोपितों को बचाने के लिए कमजोर पैरवी कर रही है। उन्होंने उत्तराखंड के युवाओं के हित में सरकार से घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की।गोदियाल ने कहा कि सहकारिता भर्ती घोटाले में जांच हो चुकी, लेकिन सहकारिता मंत्री ने कार्रवाई करने की बजाय फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी है। उन्होंने कहा कि धन सिंह रावत और प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्री पद से हटाया जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।