ब्यूरो-केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जिस तरह मिलिट्री देश की सीमाओं की रक्षा करती है। उसी तरह आध्यात्मिक शक्ति देश की संस्कृति की रक्षा करती है, जब तक संस्कृति है, तब तक संतों और संन्यासियों की यह भूमिका बनी रहेगी। कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने भारत की सांस्कृतिक चेतना को नष्ट करने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले संतो को निशाना बनाया, लेकिन इन विदेशी आक्रांताओं के आगे संत झुके नहीं।जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा की आचार्य पीठ पर पदस्थापना के दिव्य 25 वर्ष पूर्ण होने पर हरिहर आश्रम कनखल में चल रहे दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव के दूसरे दिन केंद्रीय रक्षा मंत्री बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संन्यासियों का इस राष्ट्र की संस्कृति से गहरा जुड़ाव है। सामाजिक सांस्कृतिक और राजनीतिक व्यवस्था से भी संन्यासियों का जुड़ाव है। आवश्यकता पड़ी तो राजनीतिक व्यवस्था के बदलाव में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि संन्यासी अहम से वयम की यात्रा है। संन्यासी चराचर जगत के कल्याण के लिए कार्य करते हैं। जब भी आवश्यकता पड़ी संन्यासियों ने समाज के उत्थान का कार्य किया। वसुदेव कुटुंबकम का संदेश दुनिया में किसी धरती से गया है तो वह भारत है। इसका श्रेय संन्यासी समाज को ही जाता है।केंद्रीय रक्षा मंत्री ने सनातन पर उपहास करने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें इसमें आत्मिक अनुभूति होती है। केंद्रीय रक्षा मंत्री ने केंद्र सरकार की तारीफ करते कहा कि भारत की सांस्कृतिक समृद्धि के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। अयोध्या के राम मंदिर हो या उज्जैन के महाकाल या अन्य देवी-देवताओं के मंदिर उसके बुनियादी ढांचे के विकास को सरकार लगातार प्रयास कर रही है।