ब्यूरो -शांत कहे जाने वाले उत्तराखंड में अपराध तेजी से पैर पसार रहा है। प्रदेश में हत्या, दुराचार जैसे जघंन्य अपराध दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। बढ़ती अपराधिक गतिविधियों को देखते हुए महिला सुरक्षा के मद्देनजर गौरा शक्ति ऐप की शुरूआत की गई थी। पुलिस ने महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच बताकर इसे लांच किया था। शुरुआत में इसका खूब प्रचार-प्रसार किया, लेकिन बाद में ऐप के बारे में जागरूकता नहीं फैलाई गई। जिस कारण गौरा शक्ति ऐप पर शिकायतें आनी बंद हो गई। ऐप का मुख्य उद्देश्य महिला घरेलू हिंसा, सड़क पर चलते समय व वाहनों में सफर के दौरान उनके साथ होने वाली घटनाएं तत्काल पुलिस तक पहुंचे। आधुनिकीकरण के दौर में पुलिस इस ऐप को लांच करने के बाद अपनी बड़ी उपलब्धि मान रही थी और दावा किया जा रहा था कि ऐप के जरिये बेटियों व महिलाओं को तुरंत मदद मिलेगी।
महिलाओं में सही जानकारी का आभाव
मगर हकीकत यह है कि महिलाओं व बेटियों को ऐप के बारे में सही जानकारी तक नहीं है। कई बार ऐप सही काम तक नहीं कर पाता। पुलिस ने इसका प्रचार-प्रसार भी कुछ समय करने के बाद रोक दिया। स्कूल व कॉलेजों में इस एप के बारे में जाकर बताया जाए तो निसंदेह ऐप का सही प्रयोग होगा। शिकायतें आएंगी और न्याय भी मिलेगा। जिससे घरेलू हिंसा, दुष्कर्म व छेड़छाड़ के मामले पर लगाम लगाई जा सके। आज जिस तरह से उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या व दहेज उत्पीड़न समेत हिंसा के मामले बढ़ रहे है। यह विषय सरकार के साथ साथ पूरे प्रदेश के लिए शर्मनाक है।
उत्तराखंड के तीन चर्चित महिला अपराध
आपको बता दें कि उत्तराखंड जैसे राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं है। हाल में हुई तीन वारदातों ने पूरा प्रदेश को हिला दिया। वैसे पुलिस ने भी तीनों ही मामलों पर तेजी दिखाते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन लोग पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे है। जिसको लेकर लोगों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। पहला मामला रुद्रपुर नर्स रेप और हत्याकांड का है, तो वहीं दूसरा मामला देहरादून आईएसबीटी गैंगरेप का है। वहीं तीसरा मामला रुद्रपुर के मदरसे में मासूम बच्चियों के साथ यौन शोषण का है।