रुद्रप्रयाग। कांवड़ यात्रा के नाम पर कुछ तथाकथित भक्त अराजकता का माहौल पैदा कर रहे हैं। हमारी आस्था को आज गलत दिशा की ओर मोड़ा जा रहा है। ऐसा हमारे धर्मों और ग्रंथों के खिलाफ है। ये यात्रा शिव भक्तों की यात्रा है, लेकिन कुछ कांवड़ियों ने भगवान शिव के अतिप्रिय सावन मास का मजाकर बनाकर रख दिया है। कुछ तथाकथित कांवड़ियों के कारण यात्रा पर बुरा असर पड़ रहा है। सड़क पर माताओं और बहिनों का चलना मुश्किल हो गया है। ये जहां-जहां महिलाओं को देख रहे हैं, वहां सीटी मार रहे हैं। शहरों से लेकर ग्रामीण माहौल को खराब कर रहे हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर मरीजों को स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाने में दिक्कतें हो रही है। जनता में त्राहिमाम-त्राहिमाम जैसी स्थिति बनी हुई है। मानो ऐसा लग रहा है जैसे प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं रह गई है।

रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में आयोजित पत्रकारों से वार्ता करते हुए विश्व अखाड़ा परिषद का गौ रक्षा विभाग के प्रदेश अध्यक्ष रोहित डिमरी ने कहा कि भगवान शंकर के महापर्व सावन मास का उत्सव अशांति में बदल रहा है। जहां इस यात्रा से प्रेम, सौहार्द और एकजुटता का संदेश दिया जाना था, वहीं इस यात्रा में कुछ तथाकथित कांवड़ियों के भेष में आकर यात्रा को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। शहर से लेकर ग्रामीण बाजारों में अशांति का माहौल बन गया है। सड़क में चलना माताओं और बहिनों का मुश्किल हो गया है। इन्हें देखकर सीटी बजाई जा रही हैं। जिस कारण प्रदेश के भीतर अराजकता का माहौल देखा जा रहा है। स्थानीय जनता सड़कों में अपने वाहनों को बचाकर निकल रहे हैं। उन्हें डर है कि कई किसी नशेड़ी, शराबी कांवड़ियों से उनकी टक्कर ना हो जाए। इस तरह अराजकता का माहौल पैदा कर रहे कांवड़ियों के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं।

गौ रक्षा विभाग के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि गढ़वाल मंडल की शांत वादियां इन दिनों कानफोड़ू शोर से गूंज रही हैं। हर हर महादेव के जयघोष के साथ कांवड़ यात्रा का उद्देश्य जहां शिवभक्ति और आत्मशुद्धि है, वहीं कुछ तथाकथित कांवड़िये इस पवित्र यात्रा को “ध्वनि प्रदूषण यात्रा“ में तब्दील करते नज़र आ रहे हैं।
भोलेनाथ के डमरू और त्रिशूल की जगह अब मोडिफाइड साइलेंसरों से निकलती तेज़ आवाज़ें सुनाई देती हैं। बाइक पर सवार युवकों के साथ अब लड़कियाँ भी इस होड़ में शामिल हैं, जिससे यात्रा की पवित्रता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़कों पर घंटों गूंजती तेज़ आवाज़ें न केवल बीमार, वृद्ध और बच्चों को परेशान कर रही हैं, बल्कि शांत पर्यावरण को भी दूषित कर रही हैं। कई स्थानों पर स्थानीय जनता और कांवड़ियों के बीच झड़प की घटनाएं भी सामने आई हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाती हैं। इसको लेकर सख्त कार्यवाही करने की जरूरत है। कहा कि इस प्रकार के उपद्रवी तत्वों की पहचान कर उन पर नियमानुसार कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिवभक्ति का स्वरूप संयम, साधना और आत्मनियंत्रण से जुड़ा है, न कि तेज़ साउंड और उन्मादी प्रदर्शन से। कांवड़ यात्रा की गरिमा बनी रहे, इसके लिए प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर सजग रहना होगा। इनकी जांच होनी जरूरी है। कांवड़ियों के भेष में अन्य समुदाय के लोग भी साधु-संत बनकर ठगी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले में कार्यवाही को लेकर जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा गया है और जल्द से जल्द ठोस कार्यवाही की मांग की गई है।
पत्रकार वार्ता में गौ रक्षा विभाग के जिला कोषाध्यक्ष संदीप कप्रवाण, उपाध्यक्ष दीपक नौटियाल, सचिव दीपक बिष्ट, सदस्य अंकित राणा, प्रवीन रावत, मीडिया प्रभारी प्रवीन सेमवाल सहित अन्य मौजूद थे।