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देहरादून-उत्तराखंड में छह माह से पांच वर्ष तक के आधे से अधिक (58.8 प्रतिशत) बच्चे एनीमिया के शिकार हैं। इसके अलावा 21 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि तमाम सुविधाओं के बावजूद शहरी क्षेत्र (63.8) के बच्चों में एनीमिया और कुपोषण की समस्या अधिक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र (56.6) का आंकड़ा अपेक्षाकृत कम है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2019-21) की रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश के बच्चों में पाई गई यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। इस दिशा में और भी गंभीर प्रयास किए जाने की जरूरत है।हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से स्कूलों को आदेश जारी कर एनीमिया से ग्रसित और कुपोषित बच्चों को चिहि्नत करने के साथ उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें डायटिशियन की मदद लेने को भी कहा गया है। उत्तराखंड के जिलों की स्थिति देखें तो 13 में से 10 जिलों में पैदा होने वाले आधे से अधिक बच्चे एनीमिया के शिकार हो रहे हैं। सबसे चिंताजनक स्थिति उत्तरकाशी जिले की है, जहां 73.6 प्रतिशत बच्चों में एनीमिया है। इसके अलावा हरिद्वार जिले में सबसे अधिक 27 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, जबकि रुद्रप्रयाग में सबसे कम 10.9 प्रतिशत बच्चों में कुपोषण पाया गया।
एनीमिया ग्रस्त मां से शिशु में भी खतरा
रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने से एनीमिया का खतरा रहता है। पांच वर्ष तक के बच्चों में हीमोग्लोबिन का स्तर 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर से कम रहने पर उन्हें एनीमिया ग्रस्त माना गया है। फैमिली हेल्थ सर्वे में पाया गया कि जिन गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर कम था, उनके बच्चे एनीमिया के शिकार हो गए, जबकि स्वस्थ मां के बच्चे में इसका खतरा कम रहता है।
गंभीर प्रयासों से ही बदलेगी तस्वीर
सरकार की ओर से महिला और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण योजना 2.0 के तहत अनुपूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत प्रदेश सरकार की ओर से बच्चों को पोषण उपलब्ध कराया जा रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के तहत तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को सप्ताह में चार दिन दूध उपलब्ध कराया जाने लगा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री पोषण योजना के तहत तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों पर दो दिन केले का चिप्स और दो दिन अंडा उपलब्ध कराया जा रहा है। हालांकि इसे लेकर और प्रयास की जरूरत है।
पांच वर्ष तक के बच्चों में एनीमिया की स्थिति
जिला/ प्रतिशत
उत्तरकाशी, 73.6
चमोली, 65.5
हरिद्वार, 63.1
टिहरी गढ़वाल, 61.7
यूएस नगर, 60.8
नैनीताल, 59.8
देहरादून, 59.5
अल्मोड़ा, 57.7
पौड़ी गढ़वाल, 57.2
रुद्रप्रयाग, 52.4
बागेश्वर, 43.7
चंपावत, 43.1
पिथौरागढ़, 36.2
(स्रोत: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21)
पांच वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण की स्थिति
जिला, प्रतिशत
हरिद्वार, 27.0
उत्तरकाशी, 23.5
अल्मोड़ा, 22.9
यूएस नगर, 22.0
चमोली, 21.6
टिहरी गढ़वाल, 20.7
पिथौरागढ़, 20.6
देहरादून, 19.1
पौड़ी गढ़वाल, 18.8
चंपावत, 15.3
नैनीताल, 14.8
बागेश्वर, 11.9
रुद्रप्रयाग, 10.9