चमोली-शंख ध्वनि व भगवान के जयकारों के साथ परंपरागत तरीके से आदिबदरी मंदिर के कपाट शुुक्रवार शाम साढ़े सात बजे पौष माह के लिए बंद हो गए। शृंगार दर्शन व अर्घ्य पूजा के बाद मंदिर प्रांगण में कपाट बंद समारोह हुआ जिसका उद्घाटन क्षेत्र के समाजसेवी नरेंद्र चाकर ने किया। इस दौरान महिला मंगल दलों ने लोकनृत्यों और नंदा देवी के विदाई गीतों की प्रस्तुति दी। अब मंदिर के कपाट 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन खोले जाएंगे।
मंदिर के कपाट बंद होने के दौरान महिला मंगल दल खेती, खाल, रंडोली, ढमकर, हरगांव, जुलगढ, नगली, थापली, मैतोली ने लोकनृत्यों व गीतों की प्रस्तुति दी जिसमें रंडोली गांव के डोली नृत्य व खेती के नंदा देवी के विदाई गीत को दर्शकों ने खूब सराहा।आदिबदरी जीआईसी, एसजीआरआर, प्राथमिक स्कूल आदिबदरी व खाल के कार्यक्रमों ने खूब समा बांधा। आचार्य सुनील खंडूड़ी के निर्देशन में मंदिर प्रांगण में यज्ञ हुआ। शाम को भोग मंडप में थापली के ग्रामीणों ने कड़ाह भोग तैयार किया। पंडित चक्रधर थपलियाल ने शुक्रवार शाम को ठीक 7.30 बजे भगवान की पंचज्वाला आरती उतारी। फिर सामूहिक कड़ाह भोग लगाने के बाद भगवान आदिबदरी नाथ को निर्वाण स्वरूप दिया और भगवान को घृत कंबल लपेटकर पौष माह के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।वहीं मंदिर समिति के अध्यक्ष जगदीश बहुगुणा ने बताया कि आगामी 15 जनवरी को आदिबदरी नाथ के कपाट खोल दिए जाएंगे। इस अवसर पर एक सप्ताह का महाभिषेक समारोह श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन होगा। कपाट बंद समारोह में महासचिव हिमेंद्र कुंवर, उपाध्यक्ष बीरेंद्र भंडारी, सुनील खंडूड़ी, कोषाध्यक्ष बलवंत भंडारी, विजय चमोला, नरेश बरमोला, गैंणा रावत, नवीन बहुगुणा, लक्ष्मण नेगी, ब्रिजेश कुंवर और यशवंत भंडारी मौजूद थे।