देहरादून-उत्तराखंड रोडवेज (Uttarakhand Roadways) यात्रियों की जान से खिलवाड़ करने में बाज नहीं आ रहा है। निगम की 107 बसें अपनी आयु सीमा और तय किलोमीटर पूरा कर चुकी हैं, फिर भी रोडवेज बूढ़ी बसों को दौड़ा रहा है। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में इसका खुलासा हुआ है।आरटीआई में बताया गया कि रोडवेज के पास कुल 1251 बसों का बेड़ा है। इसमें 919 बसें रोडवेज की स्वयं की हैं और बाकी बसें अनुबंध पर संचालित हो रही हैं। 107 बसें अपनी आयु और तय किलोमीटर पूरा कर चुकी हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब बसें आयु सीमा और तय किलोमीटर पूरा कर चुकी हैं तो रोडवेज इनको रूटों पर चलाकर यात्रियों की जान से क्यों खेल रहा है।बता दें पुरानी बसों हालत खराब हो चुकी है। इसकी टूटी खिड़कियां और खड़खड़ाते दरवाजे हैं। सीटों की हालत भी खराब है, गद्दी कई जगह फट चुकी है। बसों के कई पार्ट्स गायब हैं। ऐसी बसें बीच सफर में यात्रियों को कई बार धोखा भी दे चुकी हैं। समय-समय पर इन बसों की मरम्मत में निगम खर्चा भी खूब करता है। लेकिन जिम्मेदार इसमें खेल कर जाते हैं।
ये हैं बसों के मानक
नियमानुसार यदि रोडवेज की बस पहाड़ रूट पर सात लाख, मैदानी रूटों पर आठ लाख किलोमीटर चल जाती है और पहाड़ी रूट की बस की आयु सात और मैदानी की आठ साल हो जाती है तो ऐसे बसों को रूट से बाहर किया जाता है।
हमारी 107 बसें आयु सीमा और किलोमीटर तय कर चुकी हैं, लेकिन सभी बसों की यांत्रिक और भौतिक दशा ठीक है, इसलिए इनको लोकल रूटों पर चलाया जा रहा है। जब यांत्रिक और भौतिक दशा खराब हो जाएगी, बसों को रूटों से बाहर किया जाएगा।
दीपक जैन, महाप्रबंधक (संचालन), रोडवेज