देहरादून– भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने की अनुमति लिए जाने के मामले पर चर्चा की। इस संबंध में पूछे जाने पर त्रिवेंद्र ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। अलबत्ता त्रिवेंद्र खेमा सरकार के रुख से हतप्रभ है।सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) वापस लेने की राज्य सरकार की अर्जी से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खेमा स्तब्ध है। इस मामले में अभी तक पूर्व मुख्यमंत्री की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इस मामले में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि जब सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई, उस समय त्रिवेंद्र मुख्यमंत्री थे।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अब वह मुख्यमंत्री नहीं हैं और इसी मामले में उनकी भी एसएलपी विचाराधीन है, इसलिए वह अपनी लड़ाई लड़ेंगे और सरकार और संगठन उनका पूरा सहयोग करेगी। बकौल भट्ट, भाजपा और सरकार त्रिवेंद्र के साथ खड़ी है।
उधर, सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने की अनुमति लिए जाने के मामले पर चर्चा की। इस संबंध में पूछे जाने पर त्रिवेंद्र ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। अलबत्ता त्रिवेंद्र खेमा सरकार के रुख से हतप्रभ है। हालांकि अभी तक त्रिवेंद्र खेमे के किसी नेता ने खुलकर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
क्या है मामला
नैनीताल हाईकोर्ट ने 27 अक्तूबर 2020 को उमेश जे कुमार बनाम उत्तराखंड राज्य मामले में राजद्रोह का मुकदमा निरस्त करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ शिकायतों की सीबीआई से जांच के आदेश दिए थे। इस फैसले के विरोध में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। इसमें सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मांग की थी कि राजद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। अब सरकार ने इस एसएलपी को वापस लेने की अर्जी दी।